Coinbase और SEC केस की सुनवाई 4 अगस्त से शुरू होनी है। जिसमें Coinbase सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन द्वारा लगाए गए आरोपों को ख़ारिज करने के लिए एक याचिका दायर करने की योजना बना रहा है। साथ ही एक्सचेंज को उम्मीद है कि अगर केस आगे बढ़ता भी है तो वह के जीत सकता है। क्योकि SEC द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद है।
Coinbase का कहना है कि हमने अपने प्लेटफॉर्म पर सिक्योरिटीज को लिस्ट नहीं किया है, इसलिए SEC के पास क्रिप्टो एक्सचेंज को रेगुलेट करने का कोई अधिकार नहीं है। Coinbase के रजिस्ट्रेशन स्टेटमेंट को लागु करते समय SEC ने इस प्रकार की कोई जानकारी भी नहीं दी थी। साथ ही SEC को एक्सचेंज की लिस्टिंग प्रक्रियाओं की जानकारी पहले से थी, लेकिन केस दायर करने से पहले इसने कोई आपत्ति नहीं जताई थी।
इससे पहले भी SEC ने इन आरोपों के आधार पर Ripple और Binance पर मुकदमा दायर किया था। जिसमे Ripple मुक़दमे में SEC को हार का सामना करना पड़ा था और Coinbase मामले में भी वही किस्सा दोहराया जा सकता है। दरअसल समस्या यह है कि U.S. में क्रिप्टोकरंसी और एक्सचेंज को लेकर कोई स्पष्ट रेगुलेटरी फ्रेमवर्क नहीं है। यहाँ तक की वहाँ के अधिकारियों के बीच क्रिप्टो को लेकर अस्पष्टता है। हाल ही में Ether की कानूनी स्थिति पर SEC के अध्यक्ष Gary Gensler और कमोडिटी फ्यूचर्स ट्रेडिंग कमीशन के अध्यक्ष Rostin Behnam ने विरोधी बयान दिए थे। Behnam ने मार्च सीनेट की सुनवाई में कहा था कि ETH एक कमोडिटी है, जबकि Gensler ने पहले कहा था कि Bitcoin के अलावा सभी क्रिप्टोकरंसी सिक्योरिटीज हैं। साथ ही SEC एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क लागु करके क्रिप्टो के लिए कोई स्पष्ट नियम लाने की जगह, एक्सचेंज पर मनमानी रोक लगाकर उन्हें अपने अधिकार में लेना चाहता है। जिसके चलते इसे क्रिप्टो एक्सचेंजों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
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