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Presidency Note के बाद क्या भारत जारी करेगा Global Crypto Framework

महत्वपूर्ण बिंदु
  • भारत ने 2 अगस्त को ग्लोबल क्रिप्टो रेगुलेशन के निर्माण हेतु क्रिप्टो पर अपना Presidency Note जारी कर दिया है।
  • Presidency Note में FSB और IMF के सुझावों को भी क्रिप्टो फ्रेमवर्क के निर्माण में शामिल किए जाने की बात की गई है।
  • G20 देशों की अध्यक्षता कर रहा भारत क्या अब एक ग्लोबल लीडर के रूप में आगे बढ़कर ऐसा Global Crypto Framework बना रहा है, जो सभी देशों को मान्य हो।
04-Aug-2023 By: Rohit Tripathi
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क्रिप्टो फ्रेमवर्क के लिए भारत द्वारा जारी किया गया Presidency Note

G20 बैठक की अध्यक्षता कर रहे भारत ने क्रिप्टो पर Presidency Note जारी कर इस बात के संकेत दे दिए है कि वह क्रिप्टो एसेट्स के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने को लेकर कितना गंभीर है। इस Presidency Note के माध्यम से भारत ने क्रिप्टो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने की दिशा में अपनी कार्ययोजना को भी साफ़ कर दिया है। जहाँ इस Presidency Note में फाइनेंसियल स्टेबिलिटी बोर्ड (FSB) और इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (IMF) जैसी इंटरनेशनल संस्थाओं के सुझावों को भी शामिल करने की बात की गई है, वहीँ ग्लोबल क्रिप्टो रेगुलेशन के लिए अपने स्टेंड को भी साफ़ कर दिया है। इस नोट से भारत ने सभी देशों को यह साफ़ कर दिया है कि क्रिप्टो रेगुलेशन से जुड़े किसी भी तरह के फ्रेमवर्क के निर्माण में वह दुनिया के हर देश और हर संस्था को साथ लेकर चलना चाहता है, ताकि एक ऐसा रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाया जा सके जो सर्वमान्य हो। इस बात को भारत ने अपने Presidency Note में कुछ इस तरह रिप्रजेंट किया है कि क्रिप्टोकरंसी से जुड़े रेगुलेशन के निर्माण में FSB और IMF द्वारा अगस्त के आखिर में जारी किये जाने वाले सिंथेसिस पेपर के सुझावों को भी शामिल किया जाएगा। साथ ही क्रिप्टो के बारे में जागरूकता पैदा करने हेतु सभी जूरिडिक्शन तक पहुंच बढ़ाने के लिए सभी नॉन G-20 देशों को भी साथ लाने की बात कही गई है। इस Presidency Note में भारत ने इस बात को भी साफ कर दिया है कि एक ग्लोबल और सिंपल रोडमैप बनाने का उद्देश्य सभी देशों में क्रिप्टो एसेट्स के लिए एक सर्व सहमत पॉलिसी स्टेंडर्ड बनाने में मदद करना है। रोडमैप राष्ट्रों की व्यापक इकोनॉमिक, फाइनेंशियल स्टेबिलिटी और फाइनेंशियल इंटीग्रिटी की रक्षा करने के साथ निवेशकों को जागरूकता, शिक्षा और सुरक्षा प्रदान करेगा। 

क्या भारत बना सकता है एक ग्लोबल क्रिप्टो फ्रेमवर्क 

भारत वर्तमान में G20 की अध्यक्षता कर रहा है, जहाँ दुनिया के सबसे शक्तिशाली 20 देश भारत की अध्यक्षता में विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर कार्य करते हुए, उनसे जुड़ी विभिन्न नियमावलियों पर कार्य कर रहे हैं। लेकिन इस बैठक में एक मुद्दा जो सभी देशों के लिए अहम है, वह है क्रिप्टोकरंसी रेगुलेशन पर एक फ्रेमवर्क का निर्माण करना। लेकिन सभी देश इस समय भारत की ओर एक उम्मीद की नजर से देख रहे हैं, इसके पीछे का कारण भारत को दुनिया भर के देशों के द्वारा एक लीडर के तौर पर देखना है। बीते कुछ समय में भारत की पहचान वैश्विक पटल पर काफी मजबूत हुई हैं। हर बड़ा देश चाहे अमेरिका हो, रूस हो या फिर ब्रिटेन, सब भारत के साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहते हैं। ऐसे में अगर भारत क्रिप्टोकरंसी पर कोई फ्रेमवर्क बनाता है, तो वह सभी G20 देश को मान्य होगा। इसके अतिरिक्त G20 में शामिल सभी देशों में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जिसके रिश्ते सभी अन्य देशों के साथ में काफी बेहतर है। ज्ञात हो कि अगर भारत के क्रिप्टो रेगुलेशन से जुड़े फ्रेमवर्क को G20 देशों द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है, तो इसमें शामिल देश अपने सहयोगी देशों को भी फ्रेमवर्क को मानने के लिए राजी कर लेंगे। इसका परिणाम यह होगा कि भारत द्वारा बनाया गया क्रिप्टो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क ग्लोबली मान्य होगा। 

क्रिप्टो निवेशकों के लिए है एक उम्मीद 

भारत द्वारा क्रिप्टोकरंसी के लिए जारी Presidency Note इसके रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के लिए काफी अहम भूमिका निभा सकता है। इस तरह अगर कोई क्रिप्टोकरंसी फ्रेमवर्क ग्लोबली बन जाता है तो, क्रिप्टोकरंसी मार्केट के निवेशकों के लिए एक सकारत्मक कदम होगा। वे सभी निवेशक जो बीते कई सालों से क्रिप्टो मार्केट में निवेश कर रहे है, वे इस रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के निर्माण से मार्केट में तेजी की उम्मीद लगाए हुए हैं। क्रिप्टो निवेशक मानते हैं कि इस तरह अगर कोई रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बन जाएगा तो मार्केट में वे लोग भी निवेश करने के लिए आकर्षित होंगे, जो अब तक क्रिप्टोकरंसी मार्केट के जोखिम और इसकी अस्थिरता को लेकर चिंतित है। साथ ही यह उन देशों के क्रिप्टो निवेशकों के लिए भी काफी ख़ुश करने वाला कदम होगा, जहाँ वर्तमान में क्रिप्टोकरंसी बैन है। यह भारत के उन 10 करोड़ से अधिक निवेशकों के लिए भी एक उम्मीद की तरह होगा जो, वर्तमान में अपने प्रॉफिट का 30 प्रतिशत और 1% TDS दे रहे हैं। क्योंकि अगर कोई ग्लोबल फ्रेमवर्क बनाया जाता है तो, अवश्य ही भारत सरकार द्वारा निर्धारित इस टैक्स स्लैब में बदलाव हो सकता है। 

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