वर्तमान में भारत सरकार क्रिप्टोकरंसी रेगुलेट्री फ्रेमवर्क के निर्माण की दिशा में लगातार कार्य कर रही हैं। इससे सम्बंधित जोखिमों से आम लोगों को बचाने और हैकर्स की कमर तोड़ने का प्रयास सरकार द्वारा किया जा रहा है। जहाँ केंद्र सरकार अपने इस कार्य में तेजी के साथ आगे बढ़ रही हैं, वहीँ कर्नाटक राज्य से क्रिप्टो घोटाले का एक जिन्न बाहर आ गया है, जिसने राज्य की BJP के साथ-साथ केंद्र को भी चिंता में डाल दिया है। दरअसल हाल ही में कर्नाटक पुलिस के अपराधिक जांच विभाग (CID) की एक विशेष जांच टीम (SIT) ने 2019 से 2021 के बीच हुए Bitcoin रिश्वत घोटाले की फिर से जांच शुरू की है। मामले में SIT ने एक हैकर्स और उसके दो अन्य सहयोगियों के घरों की तलाशी ली है।
SIT हैकर श्रीकृष्ण रमेश उर्फ श्रीकी और उनके दो सहयोगियों सुनीश हेगड़े और प्रिसिध शेट्टी के घर छापेमारी करते हुए चुराए गए 11.5 करोड़ रुपये बरामद करने का प्रयास कर रही हैं। हैकर श्री श्रीकृष्ण रमेश उर्फ श्रीकी पर आरोप है कि उन्होंने अपने दो साथियों के साथ पोकर साइटों को हैक किया, साथ ही साथ क्रिप्टोकरंसी के माध्यम से दवाओं की ऑनलाइन खरीदारी की और सरकारी पोर्टल को हैक कर लगभग 11.5 करोड़ रुपये चुराए। राज्य ई-प्रोक्योरमेंट सेल से चुराए गए 11.5 करोड़ रुपये में से 1.43 करोड़ रुपये प्रवर्तन निदेशालय द्वारा बरामद भी किये जा चुके हैं, लेकिन बाकी बची हुई राशि के विषय में अभी तक जांच नहीं हो सकी हैं। जिसके पीछे इस मामले में तात्कालिक BJP सरकार और पुलिस विभाग के अधिकारीयों की संलिप्ति का अंदेशा था। जिसके चलते हाल ही में बेंगलुरु CCB के अनाम अधिकारियों के खिलाफ Congress सरकार द्वारा गठित SIT द्वारा हाल ही में FIR दायर की गई थी।
कर्नाटक Congress ने सत्ता में आने के बाद 2019 से 2021 के बीच हुए इस घोटाले में तात्कालिक BJP सरकार पर आरोप लगाया है। Congress का आरोप है कि मामले में हैकर और उसके साथियों की गिरफ्तारी के बाद में कर्नाटक की सत्ता पर काबिज BJP के शीर्ष नेताओं और पुलिस के उच्च अधिकारीयों ने क्रिप्टोकरंसी में रिश्वत ली थी। हाल ही में इस मामले की जांच को फिर से शुरू करने की बाद कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि BJP के सत्ता में रहते हुए वर्चुअल ट्रांसफर के माध्यम से लाखों रूपए का Bitcoin घोटाला हुआ था जिसमें कई लोग शामिल थे। मामले में पुलिस के शीर्ष अधिकारीयों और कई बड़े नेताओं के जुड़े होने से मामले को उचित जांच के बिना रफादफा कर दिया गया था।
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