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इंटरऑपरेबल CBDC से भारत को हो सकते हैं फायदे

महत्वपूर्ण बिंदु
  • भारत सरकार वर्तमान में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) की टेस्टिंग कर रही हैं, माना जा रहा है कि भारत की योजना अपनी CBDC को अन्य देशों के साथ इंटरऑपरेबल बनाने की है।
  • अन्य देशों के साथ इंटरऑपरेबल CBDC मैकेनिज्म का उपयोग करके भारत वैश्विक मार्केट में डॉलर के प्रभुत्व को कम कर सकता हैं।
इंटरऑपरेबल CBDC से भ

भारत वर्तमान में CBDC के टेस्टिंग फेज में है, जो भारत को वैश्विक पटल पर आर्थिक रूप से मजबूत करने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम हो सकता हैं। अपने इस कदम से भारत डॉलर के प्रभुत्व को वैश्विक मार्केट में कम कर अपने डिजिटल कॉइन को सर्वमान्य कर सकता है।

भारत सरकार जो कि क्रिप्टो करंसी को लेकर हमेशा ही दुविधा में रही थी, आज न केवल क्रिप्टो करंसी पर SOP बनाने की दिशा में काम कर रही हैं, बल्कि UAE के सेंट्रल बैंक के साथ में मिलकर अपने नेशनल बैंकिंग इकोसिस्टम में ब्लॉकचेन टैक्नोलोजी को पेश करने की दिशा में भी काम कर रही हैं। इतना ही नहीं भारत सरकार द्वारा वर्तमान में अपनी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) की टेस्टिंग भी शुरू की जा चुकी हैं। लेकिन भारत CBDC को लॉन्च कर ऐसा क्या अलग कर सकता है, जो इसे अन्य देशों की तुलना में एक कदम आगे रखे। तो बता दे कि वर्तमान में सभी देश अपनी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी निर्माण की दिशा में कार्य कर रहे हैं, लेकिन अगर भारत इंटरऑपरेबल CBDC मैकेनिज्म का उपयोग करता है तो, वह डॉलर के वैश्विक प्रभुत्व को कम कर सकता हैं। 

इसके लिए भारत को सबसे पहले अपनी कूटनीति का प्रयोग कर अपने समर्थक देशों को इंटरऑपरेबल और क्रॉस-बॉर्डर ट्रांजेक्शनल CBDC के लिए तैयार करना होगा। इसके बाद अन्य देशों का दबाव बनाकर उन देशों को भी अपने पाले में लेना होगा, जो उसके समर्थक नहीं हैं। लेकिन यह एक टेडी खीर के समान कार्य हैं, जिसके पूर्ण होने के 50 प्रतिशत ही चांस है। हालांकि भारत UAE के साथ CBDC की इंटरऑपरेबिलिटी और क्रॉस-बॉर्डर ट्रांजेक्शनल क्षमताओं की टेस्टिंग के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने वाला हैं, जिसके लिए MoU भी साइन किया जा चुका हैं। अगर UAE के साथ ही भारत के इस पायलट प्रोजेक्ट की टेस्टिंग सफल होती हैं, तो भारत के लिए यह एक बहुत ही फायदेमंद कदम होगा। दरअसल भारत UAE का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। भारत, United Arab Emirates की साथ करीब $70 बिलियन से अधिक का वार्षिक व्यापार करता हैं। जिसमें भारत कच्चे तेल के लिए पुर्णतः दुसरे देशों पर निर्भार हैं। 

भारत में कच्चे तेल का 60 प्रतिशत से भी ज्यादा UAE जैसे खाड़ी देशों से आयात किया जाता हैं। ऐसे में अगर यह योजना आकार ले लेती हैं, तो भारत के लिए व्यापारिक दृष्टि से फायदेमंद होगा। इस तरह अगर अन्य देश भी भारत के साथ CBDC के इंटरऑपरेबल और क्रॉस-बॉर्डर ट्रांजेक्शन के लिए मान जाते हैं, तो भारत डॉलर और पाउंड जैसी विदेशी मुद्राओं के प्रभुत्व को समाप्त कर सकता हैं। लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन और चाइना जैसे बड़े देश इस बात के लिए कभी भी तैयार नहीं होंगे कि उनकी करंसी किसी अन्य करंसी के सामने झुक जाए। वहीं छोटे देश जैसे श्रीलंका, बांग्लादेश, इंडोनेशिया आदि भारत के साथ में आ सकते हैं। क्योंकि इन देशों की आर्थिक स्थिति कही न कही भारत के साथ व्यापार पर ही निर्भर करती हैं। लेकिन अगर भारत सभी देशों को मनाने में कामयाब हो जाता हैं, तो उसके पास अपनी करंसी को मजबूत करने का एक बड़ा अवसर होगा। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भी वह इसका उपयोग कर लाभ कमा सकता हैं। 

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व्हाट यूअर ओपिनियन
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