जहां भारत, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे बड़े देश क्रिप्टो करंसी रेगुलेशन को लेकर अभी दुविधा में है, वहीं संयुक्त अरब अमीरात (UAE) एक ऐसा देश बन गया है, जो अपने देश के फ्रेंडली क्रिप्टो रेगुलेट्री नियमों के चलते दुनियाभर की क्रिप्टो एक्सचेंज फर्म का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। क्रिप्टो एक्सचेंजों को लुभावने और अकर्षक ऑफर देखर UAE धीरे-धीरे क्रिप्टो करंसी हब बनने की दिशा में कार्य कर रहा है। UAE की क्रिप्टो रेगुलेशन पॉलिसी इतनी लचीली हैं कि दुनियाभर के कई क्रिप्टो एक्सचेंज अपने हेडक्वाटर अन्य देशों से बदलकर UAE में करना चाहते हैं।
कुछ क्रिप्टो एक्सचेंज तो इस दिशा में आगे भी बढ़ चुके हैं। जहां अन्य देश अभी अपने देशों में क्रिप्टो रेगुलेशन को लेकर ही विचार कर रहे हैं, वहीं UAE सरकार के स्वामित्व वाली लाइसेंसिंग फर्म KIKLABB भुगतान करने के लिए दुबई वित्तीय सेवा प्राधिकरण (DFSA) की ओर से Bitcoin (BTC), Ethereum और Tether (USDT) सहित अन्य क्रिप्टो करंसी में भुगतान स्वीकार करती है। इस बीच भारत सरकार ने भी क्रिप्टो करंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से जुड़ने के लिए UAE के साथ हाथ मिलाया है। UAE, भारत के साथ मिलकर CBDC की इंटरऑपरेबिलिटी और क्रॉस-बॉर्डर ट्रांजेक्शनल क्षमताओं की टेस्टिंग हेतु एक पायलट प्रोजेक्ट को शुरू कर रहा है, जिसके लिए दोनों देशों के बीच MoU भी साइन किया जा चुका हैं।
ऐसे में न केवल UAE खुद क्रिप्टो करंसी के साथ और अधिक प्रगाड़ संबंध बना रहा है, बल्कि अन्य देशों को भी इस दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित कर रहा है। UAE के क्रिप्टो फ्रेंडली प्रयासों का ही नतीजा है कि Binence जैसी बड़ी क्रिप्टो एक्सचेंज फर्म अपना हेडक्वाटर संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में बना रही हैं। इस तरह से UAE अन्य देशों की तुलना में क्रिप्टो करंसी एवं ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में कई गुना तेजी से आगे बढ़ रहा है। ऐसे में कहा जा सकता है कि अपने प्रयासों से UAE वर्तमान में क्रिप्टो एक्सचेंज फर्म्स के लिए एक सेफ जोन बन गया है।
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