आर्टिफिशियस इंटेलिजेंस (AI) पर लगातार नई रिसर्च और प्रिडिक्शन देखने को मिल रहे हैं। वहीं कभी यह रिसर्च और प्रिडिक्शन पॉजिटिव इम्पेक्ट के साथ आते हैं, तो कभी यह लोगों पर निगेटिव इम्पेक्ट डालते हैं। कुछ दिनों पहले DeepMind के को-फाउंडर और Inflection AI के CEO Mustafa Suleyman ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में AI पर चर्चा करते हुए कहा था कि आने वाले 5 सालों में AI इन्वेशन करनें, मार्केट चलाने और बिजनेस करने में सक्षम होगा। Mustafa Suleyman के इस अनुमान ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि भविष्य में एआई इंसानों के लिए मुसीबतों के साथ-साथ कई सारी चुनौतियां भी खड़ी करेगा, जिनसे बाहर निकलना असंभव होगा। Suleyman के साथ ही Google के CEO Sundar Pichai ने भी 17 जनवरी को कहा था कि साल 2024 में कंपनी AI को प्राप्त करने के लिए नौकरी में कटौती कर सकती है, जो कि बेहद ही चौकाने और डराने वाली खबर थी।
DeepMind और Google के बाद अभी हाल ही में AI को लेकर नया खुलासा हुआ है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एम्पलॉयमेंट टेकओवर के आस-पास की कुछ आशंकाओं को दूर कर सकता है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) और IBM की रिसर्चर टीम ने एक रिसर्च पब्लिश की है, जिसमें बताया गया है कि ह्यूमन्स अभी भी AI की तुलना में अधिक ‘Economically Attractive’ एम्पलॉयमेंट हैं। MIT और IBM Watson AI लैब के नए शोध से पता चलता है कि एआई के इस तरह के ऑटेमेटेशन के लिए प्रीमियम कॉस्ट का पेमेंट करना पड़ सकता है, जिसके लिए एप्मलॉयर तैयार नहीं होंगे।
MIT और IBM टीम का एक वर्किंग पेपर है, जिसका टाइटल 'Beyond AI Exposure' है, जो कि एक सवाल को खड़ा करता है कि कम्प्यूटर विजन के साथ ऑटेमेशन करने के लिए कौन सी कॉस्ट अफेक्टेड होगी। टीम की रिसर्च से पता चलता है कि AI के लिए कैंडिडेट के रूप मे पहचाने गए पदों का बड़ा हिस्सा वर्तमान में इकोनॉमिक ऑटोमेशन करने के लिए कॉस्ट अफेक्टेड नहीं होगा। रिसर्च में गोद लेने में पहचानी गई प्रमुख बाधाओं में से एक ट्रेनिंग और इम्पिलीमेंशन की हाई-कॉस्ट का पेमेंट भी करना पड़ सकता है, जबकि ChatGPT जैसे सिस्टम को विशेष उद्देश्यों के लिए करैक्ट किया जा सकता है। क्योंकि ChatGPT जैसे सिस्टम का जनरल नेचर इन्हें कई एप्लिकेशन्स के लिए आदर्श से कम बनाती है। सरल शब्दों में समझा जाए तो कई एम्पलॉयर को या तो खुद का AI सिस्टम क्रिएट करना होगा या फिर किसी वेंडर को अपने मालिकाना डेटा और इंटरनल प्रोसेस पर भरोसा करना होगा, जो कि सिर्फ कहने में आसान है, लेकिन इस प्रोसेस पर भविष्य में चलना बेहद ही कठिन काम होगा।
AI पर MIT और IBM की यह रिसर्च एक तरह से पॉजिटिव इम्पेक्ट डालती है। वहीं रिसर्चर का कहना है कि भले ही ह्यूमन अभी भी एआई की तुलना में अधिक ‘Economically Attractive’ एम्पलॉयमेंट हैं, लेकिन फिर भी यह रिसर्च ह्यूमन वर्कर्स के लिए चिंता को कम नहीं करती है। Coin Gabbar के अनुसार, AI का विकास धीरे-धीरे ह्यूमन के फ्यूचर में कई सारी चुनौतियों को खड़ा करेगा, जिसमें सब से बड़ी चुनौती अपनी नौकरी को सुरक्षित करना होगा। क्योंकि जिस तरीके से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल बढ़ रहा है, उस हिसाब से देखा जाए तो वो दिन दूर नहीं है जब मनुष्य की जगह AI जनरेटेड रोबोट काम करते हुए नजर आएंगे। बड़ी-बड़ी कंपनियां खुद को AI में बेहतर बनाने की होड़ में इस पर लोगों की निर्भरता में बढ़ोत्तरी कर रही है, जो कि भविष्य में आने वाले खतरे को दर्शाता है। वहीं MIT और IBM की इस रिसर्च से थोड़ी राहत सी महसूस होती है, लेकिन फिर भी यह रिसर्च मनुष्य की चिंता को उतना कम करने में कामयाब नजर नहीं आ रही है।
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