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Blockchain सिक्योरिटी का हेल्पिंग हैंड Smart Contract

महत्वपूर्ण बिंदु
  • स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का कॉन्सेप्ट कंप्यूटर साइंटिस्ट Nicholas Szabo के द्वारा 1994 मे दिया गया था।
  • Blockchain की सहायता से स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट हर तरह के फ्रॉड से सुरक्षित रहता है।
10-Jun-2023 By: Jeet Gokhale
Blockchain सिक्योरिट

Nicholas Szabo के द्वारा 1994 मे दिया गया स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट 

एक डिजिटल कंप्यूटर प्रोग्राम है, जो एग्रीमेंट के नियमों और शर्तों को संग्रहीत करता है और इन्हें कंप्यूटर प्रोग्राम के फ़ॉर्मेट में Blockchain पर स्टोर करता है। Blockchain के साथ जुड़ने से स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट पूरी तरह डिसेंट्रलाइज्ड हो जाता है।

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट सामान्य कॉन्ट्रैक्ट की तरह ही एक एग्रीमेंट बेस्ड कंटेंट होता है, बस फर्क इतना होता है कि सामान्य कॉन्ट्रैक्ट की फिजिकल मौजूदगी होती है, वहीँ स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कंप्यूटर प्रोग्राम में बनाया जाता है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का कॉन्सेप्ट लीगल स्कालर, क्रीपटोग्राफर, और कंप्युटर साइंटिस्ट Nicholas Szabo के द्वारा 1994 मे दिया गया था। 2013 मे Ethereum Blockchain के संस्थापक Vitalik Buterin ने Blockchain और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट को एक साथ जोड़ा जिसके परिणामस्वरूप एक बेहतरीन कॉम्बिनेशन बना। यही वह वजह थी जिससे स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट की उपयोगिता और विशेषता और ज्यादा निखर कर बाहर आई। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट एक कम्प्यूटराइज़ प्रोग्राम है, जिसके अंदर एग्रीमेंट के सारे रूल्स और रेगुलेशन मौजूद होते है और यही सारे रूल्स और टर्म्स के साथ इन्हे कंप्यूटर प्रोग्राम के फॉर्मैट मे Blockchain पर स्टोर किया जाता है

 Cryptocurrency के कुछ ही Blockchain है, जो स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का उपयोग करते है, इसका सबसे अच्छा उदाहरण Ethereum है। Ethereum Blockchain सिक्योरिटी के बारे में तो सब जानते ही है। Solidity एक स्पेशल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है जिसका उपयोग कर के Ethereum Blockchain में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट को डेवलप किया जाता है। Solidity के अन्दर Syntax का उपयोग किया जाता है और इसका उपयोग Javascript में भी होता है। जिस व्यक्ति को Javascript का यूज करना आता है वे आसानी से Blockchain में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट Develop कर सकता है। अगर हम स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट को Blockchain से अलग देखे तो यह एक सेंट्रल अथॉरिटी है, जो सिर्फ एक जगह स्टोर की जा सकती है, लेकिन Blockchain से जुड़ने के बाद स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट पूरी तरह डिसेंट्रलाइज्ड हो जाता है।  

सामान्य कॉन्ट्रैक्ट और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में अंतर : 

जिस तरह सामान्य कॉन्ट्रैक्ट का फॉर्मेट कागज़ पर बनाया जाता है, उसी तरह स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मेट कंप्यूटर फॉर्म में होता है। सामान्य कॉन्ट्रैक्ट की प्रोसेस में थर्ड पार्टी की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट एक बार बनाने के बाद किसी भी तरह का थर्ड पार्टी इनवॉलमेंट नहीं होता है 

सामान्य कॉन्ट्रैक्ट की प्रोसेस होने में समय लगता है, साथ ही इसमें डीलर द्वारा फ्रॉड होने का डर रहता है, लेकिन स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट Blockchain के साथ जुड़े होने की वजह से प्रोसेस कम समय में परफॉर्म करता है और हर तरह के फ्रॉड से भी सुरक्षित रखता है। 

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