Spatial Computing को 2003 में Simon Greenwold द्वारा परिभाषित किया गया था, जिसके अनुसार "एक मशीन के साथ ह्यूमन इंटरेक्शन जिसमें मशीन रियल ऑब्जेक्ट और स्पेस के संदर्भों को बनाए रखती है और हेरफेर करती है"।
कंज्यूमर ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, मिक्स्ड रियलिटी के आगमन के साथ, Microsoft और Magic Leap जैसी कंपनियां "Spatial Computing" का उपयोग इंटरैक्टिव डिजिटल मीडिया सिस्टम के लिए फिजिकल क्रियाएं इनपुट के रूप में करने के प्रयोग के संदर्भ में करती हैं, जहां वीडियो, ऑडियो, और हैप्टिक आउटपुट के लिए स्थानिक रूप में प्राप्त 3D फिजिकल स्पेस को कैनवास के रूप में उपयोग किया जाता है। यह 'डिजिटल ट्विन' की अवधारणा से भी जुड़ा है।
Apple ने 5 जून 2023 को Vision Pro के साथ एक Spatial Computing प्लेटफ़ॉर्म की घोषणा की। इसमें Spatial ऑडियो, दो microOLED डिस्प्ले, Apple R1 चिप और आई ट्रैकिंग जैसी कई सुविधाएँ हैं। इसे संयुक्त राज्य अमेरिका में 2024 में रिलीज़ करने की योजना है।
Spatial Computing और Metaverse उनके कॉन्सेप्ट के स्कोप और नेचर के कारण भिन्न हैं। Spatial Computing फिजिकल क्रियाओं का उपयोग करके मनुष्यों और मशीनों के बीच संपर्क को सक्षम बनाता है, फिजिकल और डिजिटल क्षेत्रों के बीच की रेखा को धुंधला करता है। दूसरी तरफ Metaverse एक व्यापक अवधारणा है, जो पूरी तरह से इमर्सिव वर्चुअल रियलिटी स्पेस का प्रतिनिधित्व करता है जहां उपयोगकर्ता कंप्यूटर जनित एनवायरनमेंट और एक दूसरे के साथ बातचीत करते हैं। इसमें आपस में जुड़ी वर्चुअल दुनिया का एक विशाल नेटवर्क शामिल है। जबकि Spatial Computing फिजिकल एनवायरनमेंट के भीतर अनुभवों को बढ़ाने पर केंद्रित है, Metaverse एक इमर्सिव वर्चुअल रियलिटी एक्सपीरियंस प्रदान करता है जो फिजिकल सीमाओं को पार करता है।
आपको बता दे कि, Spatial Computing महत्वपूर्ण है क्योंकि यह फिजिकल और डिजिटल दुनिया के बीच की रेखा को धुंधला करके गहरे अनुभवों को सक्षम बनाता है। यह रियल एनवायरनमेंट में डिजिटल कंटेंट के सहज एकीकरण की अनुमति देता है, दृश्यता और समझ को बढ़ाता है।
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