सस्ता टोकन का दावा करें रिजर्व का प्रमाण

लोकल क्रिप्टो एक्सचेंजों के ट्रेडिंग वॉल्यूम में आई कमी, यह रही वजह

महत्वपूर्ण बिंदु
  • विदेशी एक्सचेंजों पर की गई सख्त करवाई के बाद उम्मीद की गई थी कि यह कदम भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
  • भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज के डिपोजिट में 250-2,000 प्रतिशत बढ़ोतरी का दावा भी किया गया था।
  • इस बीच टॉप इंडियन एक्सचेंज के क्रिप्टो ट्रेडिंग वॉल्यूम में लगभग 21 की कमी देखी गई है।
15-Feb-2024 By: Shailja Joshi
लोकल क्रिप्टो एक्सचे

इंडियन एक्सचेंज के ट्रेडिंग वॉल्यूम में 21 प्रतिशत की कमी देखी गई

भारत में पिछले महीने 9 विदेशी एक्सचेंजों पर की गई सख्त करवाई के बाद उम्मीद की गई थी कि यह कदम भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। हालाँकि भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज के डिपोजिट में 250-2,000 प्रतिशत बढ़ोतरी का दावा भी किया गया था। लेकिन इस बीच टॉप इंडियन एक्सचेंज के क्रिप्टो ट्रेडिंग वॉल्यूम में लगभग 21 प्रतिशत की कमी देखी गई है। जिसका सीधा मतलब है कि भारतीय क्रिप्टो ट्रेडर्स ने सरकार द्वारा अचानक उठाए गये कदम के बाद अपना फंड विदेशी क्रिप्टो एक्सचेंज से ट्रांसफर तो किया है लेकिन ट्रेडर्स के बीच क्रिप्टो ट्रेडिंग एक्टिविटी में कमी आ गई है।  

यह हो सकते है कारण 

इसके पीछे कई कारण माने जा सकते है अन्य ग्लोबल एक्सचेंजों के साथ ही Binance ने भारतीय क्रिप्टो निवेशकों के बीच से भारी आकर्षण प्राप्त किया था, क्योंकि Binance  और अन्य ग्लोबल एक्सचेंज FIU के साथ रजिस्टर्ड नहीं थे, इसलिए उसे सभी ट्रांज़ैक्शन और पेमेंट पर किये जाने वाले टैक्स को रिपोर्ट करने की आवश्यकता नहीं थी, जिसका उपयोग भारतीय निवेशक टैक्स का भुगतान करने से बचने के लिए करते थे। जिसके चलते ही पिछले दो सालों में भारत का लगभग 90 प्रतिशत क्रिप्टो ट्रेडिंग वॉल्यूम ऑफशोर एक्सचेंजों में स्थानांतरित हो गया था। हालाँकि सरकार द्वारा ग्लोबल एक्सचेंजों को बैन करने के बाद सभी भारतीय क्रिप्टो निवेशकों को इंडियन एक्सचेंज में डिपोजिट ट्रांसफर करना पड़ा लेकिन अब भारत सरकार द्वारा लागु क्रिप्टो टैक्स पॉलिसी के चलते यह निवेशक क्रिप्टो ट्रेडिंग में भाग नहीं ले रहे है।   

इसके साथ ही भारत सरकार द्वारा लागु किये गये सख्त नियमों के चलते भी भारतीय निवेशकों के बीच क्रिप्टोकरंसी की लोकप्रियता कम हो रही है। क्रिप्टो करंसी को लेकर भारत का नजरिया अभी भी स्पष्ट नहीं है। एक तरफ जहाँ सरकार G-20 जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर ग्लोबल क्रिप्टो रेगुलेशन का प्रस्ताव रखती है तो वहीँ दूसरी तरफ देश की केन्द्रीय बैंक RBI ही सरकार के इस प्रयास के विरुद्ध दिखाई देती हैं। जहाँ सरकार रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को एक गाइडलाइन के तहत निर्माण करने पर सहमत हुई हैं, वहीँ रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया क्रिप्टो पर पूर्ण प्रतिबंध की वकालत करता है। जिसके चलते भी भारतीय क्रिप्टो निवेशकों में क्रिप्टो के भविष्य को लेकर संदेह है। क्रिप्टो ट्रेडिंग एक्टिविटी में कमी का एक कारण क्रिप्टो इंडस्ट्री में बढ़ते अटेक्स और हैकिंग की घटनाएँ भी जिसके चलते भी निवेशकों में क्रिप्टो को लेकर उत्साह की कमी देखी जा रही है।  

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