कुछ साल पहले तक US, AI रिसर्च में China से काफी आगे था। अमेरिका में पब्लिक और प्राइवेट दोनों प्रकार के संस्थान AI विकास में वृद्धि देख रहे थे, जबकि China वैश्विक निर्माण में छोटी गतिविधियाँ में लगा हुआ था। लेकिन पिछले कुछ समय में China AI टेक्नोलॉजी में अपनी पकड़ बना रहा है। रिसर्चर्स के अनुसार China अब AI के मामले में विश्व में सबसे आगे है। जैसे-जैसे China की स्थिति आगे बढ़ रही है, वह AI सुपरपावर बनने की ओर आगे बढ़ रहा है।
हालाँकि US इसे AI सुपरपावर बनने से रोकने के लिए अपनी ओर से काफी कोशिशे कर रहा है। पिछले अक्टूबर में China की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को स्थिर करने के लिए कई नियम जारी किये गए थे। इन नियमों ने China में उन चिप्स की बिक्री को सीमित कर दिया गया जो AI टेक्नोलॉजीज़ को बनाने के लिए आवश्यक कंप्यूटिंग पावर प्रदान कर सकती हैं।
इसी के जवाब में हाल ही में चाइनीज गवर्मेंट ने AI सिस्टम के लिए सेमीकंडक्टर उत्पादन में उपयोग की जाने वाली मेटल्स के निर्यात पर नियंत्रण की घोषणा की है। 3 जुलाई को, China के वाणिज्य मंत्रालय ने बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि नियंत्रण का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा करना है। घोषणा के अनुसार गैलियम और जर्मेनियम उत्पादों के निर्यात के लिए सरकार द्वारा जारी लाइसेंस की आवश्यकता होगी।
China में हाल ही में AI के पक्ष में कई नियमों को पारित किया गया है, जिससे व्यवसायों, निवेशकों और अन्य स्टेक होल्डर्स को संदेश मिलता है कि सरकार उनका समर्थन करती है। China का विशाल मार्केट उसे AI इनोवेशन के लिए बड़े डेटा सेट प्राप्त करने में मदद करता है। ऐसा बाज़ार न केवल बड़े डेटा लाभ प्रदान करता है साथ ही मजबूत आर्थिक प्रोत्साहन भी प्रदान करता है जो स्टार्टअप और संगठनों के लिए अपनी इंडस्ट्री में AI ऍप्लिकेशन्स का पता लगाने के लिए गतिशील अवसर पैदा करता है। इसके अलावा, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि AI तकनीक के प्रति China के यूजर्स का उत्साह देश में AI तकनीक में तेजी लाएगा। US-China ट्रेड वॉर से China को भी कोई बड़ा फायदा नहीं है। इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट पर संघर्ष, डिग्लोबलाइजेशन मूवमेंट आदि ऐसी चुनौतियाँ हैं जो AI पर China के आगे के विकास को तुरंत प्रभावित करेंगी।
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