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क्या Bitcoin बना चुनावों में हवाला का नया तरीका, मिलते हैं संकेत

महत्वपूर्ण बिंदु
  • 2024 में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं, वहीँ 2024 में भारत में भी लोकसभा चुनाव के माध्यम से यह फैसला होगा कि कौन भारत का अगला प्रधानमंत्री बनेगा। वहीँ El Salvador भी 2024 में राष्ट्रपति चुनावों का गवाह बनेगा।
  • इन सभी चुनावों में Bitcoin और क्रिप्टोकरंसी के प्रति राजनेताओं और राजनीतिक पार्टिया अपना समर्थन जाहिर कर रही हैं, लेकिन El Salvador को छोड़कर किसी भी देश ने BTC को लीगल करंसी नहीं माना है।
  • हालाँकि चुनावों में BTC के रूप में डोनेशन पार्टिया स्वीकार कर रही हैं। जो इस बात की आशंका पैदा करता हैं कि कहीं Bitcoin चुनावों में नगद की जगह हवाला का रूप तो नहीं ले रही।
30-Oct-2023 Rohit Tripathi
क्या Bitcoin बना चुनावों में हवाला का नया तरीका, मिलते हैं संकेत

नेताओं का Bitcoin मंत्र वोटर्स को कर रहा वश में 

2024 एक चुनावी साल हैं, जहाँ दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव होने वाले हैं। वहीँ दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी भारत में भी वर्ष 2024 में लोकसभा का चुनाव होगा, जिसमें यह पता चलेगा कि भारत का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा। इनता ही नहीं Bitcoin को अपनी लीगल करंसी के रूप में अपना चुके El Salvador में भी 2024 में ही प्रेसिडेंट इलेक्शन होने है। ऐसे में सवाल यही है कि क्या इन चुनावों में जीत के लिए राजनेताओं के पास जनता के लिए ऐसा कोई मंत्र है जो उन्हें चुनाव जीताकार एक बार फिर जनता का प्रतिनिधि बना सकता हैं। 

तो आपको बता दे कि इन तीनों ही चुनाव में जो राजनीतिक पार्टियों के पास सबसे ख़ास अस्त्र है वह है Bitcoin या Cryptocurrency।  इतना ही नहीं यह अस्त्र तीनो ही चुनाव में जीत का मंत्र हो सकता हैं। हमारे ऐसा कहने के पीछे का जो मुख्य कारण है, वह है, चुनाव के ठीक एक साल पहले तीनों ही देशों में राजनेताओं का Bitcoin या Cryptocurrency के बारे में जिक्र करना और इसके रेगुलेशन की दिशा में कार्य करते हुए, इसे अपनाने के वादे करना। 

अगर बात की जाए अमेरिका की तो यहाँ पर राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ रहे तीन उम्मीदवार Robert F. Kennedy Jr., Ron DeSantis और भारतीय मूल के Vivek Ramaswamy, Bitcoin पर खुलकर अपना समर्थन दिखा चुके हैं। जिसमें अपने चुनाव अभियान के डोनेशन के रूप में Bitcoin को स्वीकार करना शामिल हैं। 

ठीक इसी तरह भारत में भी क्रिप्टो रेगुलेशन को लेकर लगातार तेजी से काम हो रहा हैं, जबकि 2 साल पहले तक क्रिप्टोकरंसी पर भारी भरकम टैक्स लगाकर इसे गैम्बलिंग की श्रेणी में डाल दिया था। लेकिन अब जब चुनाव को 6 महीने से भी कम समय बचा है तब सरकार का तेजी से इसके रेगुलेटरी फ्रेमवर्क पर काम करना, एक चुनावी चाल नजर आ रहा हैं। क्योंकि भारत में करीब 20 करोड़ वोटर्स ऐसे है, जो क्रिप्टोकरंसी के निवेशक हैं। 

Bitcoin को लीगल करंसी बनाकर Nayib Bukele ने चली अलग ही चाल 

इन सब चुनावों के बीच में एक और ऐसा इलेक्शन है जिसपर भी दुनिया के हर देश की नजर होगी। हम बात कर रहे हैं Bitcoin को लीगल करंसी बनाने वाले El Salvador की। दरअसल El Salvador में भी फरवरी 2024 में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। लेकिन अभी से El Salvador में चुनावी तैयारिया शुरू हो गई हैं। जिसके लिए कुछ दिन पहले वर्तमान राष्ट्रपति Nayib Bukele ने कागजी कार्रवाई को भी पूरा किया है। El Salvador के चुनावी रण में Nayib Bukele जीत के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। 

लेकिन यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि Nayib Bukele की जीत की प्रबलता के पीछे उनका Bitcoin सपोर्टर होना ही हैं। Nayib Bukele ने El Salvador में Bitcoin को करंसी के रूप में लीगल कर वहां की जनता के बीच लोकप्रियता हांसिल की हैं। साथ ही वे अब El Salvador में Bitcoin City का भी निर्माण करने वाले हैं। गौरतबल है कि Nayib Bukele की पार्टी Neuva (New) Ideas ने 2019 में Nationalist Republican Alliance और The Farabundo Martí National Liberation Front (FMNLB) के तीन दशक के डोमिनेंस को तौड दिया था। 

कहीं चुनावों में हवाला का नया तरीका तो नहीं बना Bitcoin 

लेकिन सवाल यही उठता है कि क्या कोई क्रिप्टोकरंसी या फिर कहें की Bitcoin को सपोर्ट करने वाली पार्टी या राजनेता चुनाव जीतने के बाद में Bitcoin को अपनी लीगल करंसी बना देंगे। ठीक उसी तरह जिस तरह से El Salvador ने किया। तो आपको बता दे कि चुनाव में बयान देना अलग बात है और इस पर कानून बनाना अलग। इसके साथ ही इसका एक और पहलू हमें नजर आता हैं, उसके अनुसार अब तक चुनाव में फंडिग नगद में होती थी, जिससे उन हवाला कारोबारियो के पास अपना पैसा ब्लैक से व्हाईट करने का अच्छा मौका था। लेकिन वर्तमान में हवाला या ब्लैकमनी पर विभिन्न देशों में बढ़ते कानूनी शिकंजे ने इन लोगों के लिए गंभीर स्थिति उत्पन्न कर दी है। लेकिन अब Bitcoin जैसी अन्य क्रिप्टोकरंसीयों ने इन इलीगल गतिविधियों को आसान कर दिया है। 

जहाँ सभी जानते हैं कि क्रिप्टोकरंसी ट्रांजेक्शन में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग होता हैं। जिसमें किसी भी ट्रांजेक्शन को ट्रैक कर पाना बेहद मुश्किल होता हैं। ऐसे में चुनावों में मिलने वाली इलीगल फंडिग अब BTC जैसी क्रिप्टोकरंसी के माध्यम से आसानी से मिल जाती है। इससे चुनावों में ब्लैकमनी के उपयोग की संभावनाएं भी तेज हो जाती हैं। भले है चुनावी फायदे के लिए राजनीतिक पार्टियाँ एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे। लेकिन कोई भी नहीं चाहेगा कि चुनावों में बिना ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड के होने वाले फंडिंग के इतने अच्छे साधन को बंद किया जाए। उदहारण के लिए अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों के तीन उम्मीदवार भले ही Bitcoin में कैम्पेन डोनेशन ले रहे है, लेकिन जरुरी नहीं कि वे चुनाव जीतने के बाद Bitcoin को लीगल करंसी बना दे। हो सकता है कि क्रिप्टो ट्रेडिंग को ट्रेडिंग की तरह लीगलाइज कर दिया जाए पर इसे किसी बड़े देश द्वारा अपनी लीगल करंसी बनाना नामुमकिन ही लगता है। 

जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है Bitcoin

जहाँ Bitcoin जैसी क्रिप्टोकरंसी के इलीगल उपयोग की संभावना है वहीँ इससे जुड़े कुछ फायदे भी है अगर उसे सही तरह से उपयोग किया जाए। जैसे हर वह देश जो डॉलर के विकल्प की तरफ बढ़ रहा है, क्रिप्टोकरंसी को धीरे-धीरे अपना रहा हैं। क्रिप्टो अडॉप्टेशन के माध्यम से डॉलर का डोमिनेंस ख़त्म होगा और उसकी कीमतों में थोड़ी गिरावट होगी। जिसकी मदद से आर्थिक तंगहाली और क्राइसिस का समाना कर रहे देशों को रिकवरी का अवसर मिलेगा। वहीँ अगर Bitcoin को मुद्दा बनाकर किसी देश की कोई पार्टी या नेता चुनाव में उतरता है तो उसे उस देश के युवाओं का सपोर्ट मिलना स्वाभाविक है, क्योंकि विश्व में 18 से 45 आयुवर्ग के लोग सबसे अधिक क्रिप्टो इन्वेस्टर हैं। इतना ही नहीं इससे जुड़ी कई सर्वे रिपोर्ट इस बाद का खुलासा कर चुकी हैं कि युवा चाहते हैं कि क्रिप्टो रेगुलेशन की दिशा में कदम उठाया जाए और इसे एक विकल्प के रूप में चुना जाए। ऐसे में यह पूरी तरह से साफ़ है कि Bitcoin किसी भी चुनाव में जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हैं। 

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व्हाट यूअर ओपिनियन
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