सस्ता टोकन का दावा करें रिजर्व का प्रमाण

भारतीय सरकार ने डिजिटल क्रिप्टो एसेट्स पर 1 प्रतिशत TDS का प्रस्ताव दिया ।

महत्वपूर्ण बिंदु
  • Crypto Set-off, Crypto rebate
01-Jul-2022 Rohit Tripathi
भारतीय सरकार ने डिजिटल क्रिप्टो एसेट्स पर 1 प्रतिशत TDS का प्रस्ताव दिया ।


दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं वर्तमान में अपने खुद के क्रिप्टो नियम बना रही हैं, जो एक दूसरे से बहुत अलग हैं। क्रिप्टो करेंसी को लंबे समय से विश्व के स्तर पर एक कैपिटल एसेट के रूप में माना जाता है, जिसे रेसिपिएंट द्वारा शार्ट और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स दोनों पर टैक्स लगाया जाना चाहिए। आश्चर्यजनक है की, इसका मतलब यह है कि यदि कोई प्रॉफिट नहीं दिखाया जाता है, तो कोई टैक्स लायबिलिटी भी नहीं होगी। फिर इकोनॉमी में इन एसेट्स को खरीदने और होल्ड पर रखने पर कोई टैक्स नहीं लगाया जाएगा | इसके अलावा, अमेरिका जैसे विकसित देशों में टैक्स कानून, भारत में 30% से ज्यादा की इनकम पर लगाए गए क्रिप्टो टैक्स से कहीं ज्यादा मात्रा में हैं।

क्रिप्टो करेंसी मोनेटरी ट्रांसक्शन के बारे में Coingabbar के साथ क्रिप्टो न्यूज़ देने वाले ZebPay के CEO अविनाश शेखर के अनुसार, इस पैसे को होल्ड करना होगा और इसे सेलर को जमा करना होगा | यह टैक्स अधिकारियों को भारतीय निवासियों द्वारा किए गए सभी क्रिप्टो करेंसी ट्रांसक्शन की सही प्रकार से देखरेख करने में मदद करेगा। क्रिप्टो-टू-क्रिप्टो स्वैप के मामले में 1% TDS, ट्रांसक्शन के दिन क्रिप्टो करेंसी के fair market value (FMV) के आधार पर दोनों पक्षों पर लगाया जाएगा। TDS उन एक्सचेंजों से लिया जाएगा जो platform सेलर्स की ओर से टैक्स देते हैं। इसका हिसाब ट्रांसक्शन वैल्यू के 1% का उपयोग करके किया जाएगा।

क्रिप्टो करेंसी मार्केट analysis करते समय हम यह नहीं जानते हैं कि क्रिप्टो करेंसी का भविष्य क्या होगा, हम यह मान सकते हैं कि आगे चल कर ये आसमान छूने वाली है और यह एक बड़ा कैपिटल गेन होने वाला है।

इस लेख में, हम यह जानेंगे कि भारत में क्रिप्टो इनकम पर लगने वाला TDS क्या है,

हर एक क्रिप्टो करेंसी पर 1% TDS का क्या अर्थ है? 2022 के केंद्रीय बजट में क्रिप्टो करेंसी सहित सभी वर्चुअल (क्रिप्टो) एसेट पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाया गया है। 

जिन लोगों को ये क्रिप्टो एसेट गिफ्ट्स एवम रिवार्ड्स  के रूप में मिलेगी, उन्हें भी इसके लिए भुगतान करना होगा। एस्टाब्लिशड क्राइटेरिया के अंदर क्रिप्टो एसेट्स के ट्रांसफर से कैपिटल गेन्स किसी भी प्रकार की इनकम पर टैक्स लगाया जाएगा, और हर कोई इसे भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होगा।  कॉस्ट ऑफ़ एक्वीजीशन के अलावा कोई और कॉस्ट कटौती में नहीं आएगी। फिर, ट्रांसक्शन फीस हो या माइनिंग कॉस्ट्स कोई भी कॉस्ट टैक्स डिडक्शन के लिए नहीं गिनी जाएगी।

इनकम टैक्स के अलावा 1 प्रतिशत कटौती योग्य टैक्स का भुगतान किया जाएगा, जो कुल क्रिप्टो करेंसी रेवेनुए का 30 प्रतिशत है।

नए इनकम टैक्स रेगुलेशंस के अनुसार, वर्चुअल डिजिटल एसेट के ट्रांसफर पर 01 जुलाई, 2022 से 1% TDS लागू होगा। 

यह TDS भारत के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा लगाया जाता है और टैक्स फाइलिंग के समय सरकार से वापस लिया जा सकता है।

इसको मानते हुए, सभी यूज़र्स को CoinDCX पर कोई भी ट्रांसक्शन (खरीद/बिक्री) करने के लिए 1 जुलाई, 2022 को/या उससे पहले अपनी KYC प्रक्रिया को अनिवार्य रूप से पूरा करना होगा। हम आपसे किसी भी देरी से बचने के लिए अपना KYC पहले से ही पूरा करने की सलाह देंगे। यहां, भारत सरकार द्वारा प्रदान की गई क्रिप्टो TDS कैलकुलेशन दी जा रही है।

1% TDS कहां लागू होगा?

रूपए -to-Crypto(F2C)बाय ऑर्डर-बिना TDS के Crypto-to-रूपए (F2C) सेल ऑर्डर - 1%

TDS एप्लीकेबल कुल ऑर्डर वैल्यू Crypto-to-Crypto (C2C) बाय ऑर्डर - 1%

TDS एप्लीकेबल कुल ऑर्डर वैल्यू  Crypto-to-Crypto (C2C ) सेल आर्डर - 1%

कुल ऑर्डर वैल्यू पर लागू TDS

उदाहरण के लिए,

 यदि आप रूपए 30,00,000 पर 1 BTC के लिए एक सेल आर्डर देते हैं, तो आपके आर्डर  की जानकारी इस प्रकार दिखाई देगी :

ऑर्डर वैल्यू रूपए  30,00,000

ट्रांसक्शन फीस (30,00,000 का 0.2%) = रूपए  6,000 TDS एप्लीकेबल (30,00,000 का 1%) = रूपए  30,000 इसलिए, कुल ऑर्डर वैल्यू (जो आपको मिलता है) रूपए  30,00,000- (6000 30,000) = रूपए 29,64,000

आपके लेवल के अनुसार फीस 

दूसरी ओर, सभी crypto-to-crypto (यानी, C2C) ट्रांसक्शन के लिए, 1% TDS सेल और बाय ऑर्डर दोनों पर लगेगा (जब भी आप C2C पर बाय ऑर्डर देते हैं, तो आप एक क्रिप्टो भी बेच देते हैं)।

उदाहरण के लिए, यदि आप 22,000 USDT पर 0.5 BTC के लिए एक बाय आर्डर देते हैं, तो आपके आर्डर की जानकारी इस तरह दिखाई देगी :

आर्डर वैल्यू USDT 22,000

ट्रांसक्शन फीस (22,000 का 0.2%) = USDT 44 TDS एप्लीकेबल (22,000 का 1%) = USDT 220 कुल आर्डर वैल्यू (जो आप देते हैं) = USDT 22,000 (44 220) USDT 22,264।

भारत सरकार द्वारा क्रिप्टो पर अब टैक्स लगाया जा रहा है क्योंकि अब इसे सरकार नॉन-टेंजिबल एसेट के रूप में ले रही है जिसका उपयोग इनकम जनरेट करने और लाभ कमाने के लिए किया जा सकता है। माननीय फाइनेंस मिनिस्टर सुश्री निरमाला सीतारमण

द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट के अनुसार, क्रिप्टो पर टैक्स लगने वाला है।

आइए इसे सरल शब्दों में समझते हैं:

  1. क्रिप्टो ट्रेड से आप जो भी कमाते हैं, उस पर 30% टैक्स लगेगा | यह किसी भी दूसरे सोर्स से किसी भी दूसरी इनकम के अलावा है, चाहे वह टैक्सेबल हो या नहीं… इसलिए, 2.50 लाख तक की इनकम के लिए टैक्स से छूट की टैक्स स्लैब यहां लागू नहीं होगी। दूसरे शब्दों में, आप अपनी कमाई की राशि पर टैक्स का भुगतान करते हैं। भले ही आपने केवल रु 10000 साल में क्रिप्टो से कमाए हो आप उस पर 30% टैक्स देंगे। यह उन लोगो के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, जो सिर्फ मनोरंजन या पॉकेट मनी के रूप में क्रिप्टो में निवेश कर रहे हैं और कमा रहे हैं।

  1. आपको दूसरे सोर्स से होने वाली इनकम में होने वाले नुकसान के बदले में कोई लाभ नहीं मिलेगा। साथ ही, क्रिप्टो में हुए नुकसान दूसरे सोर्स से होने वाले लाभ के बदले में  नहीं मिलेगा …. तो, अगर आप क्रिप्टो में 50000 कमाते है और बिज़नेस में  200000 का नुकसान हुआ है, तब भी आपको 50000 रुपये की क्रिप्टो इनकम पर 30% टैक्स का भुगतान करना होगा। 

  1. क्रिप्टो लॉस को आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं है…। जिसका मतलब  है कि यदि आप किसी साल में क्रिप्टो में फायदा कमाते हैं, तो आप टैक्स देते हैं, जबकि अगर आपको नुकसान होता है, तो कोई उपाय नहीं है।

 टैक्सेशन स्कीम के बारे में अधिक जानने के लिए और क्रिप्टो करेंसी से  कमाई करने के तरीके के बारे में और जानने  के लिए। क्रिप्टो लाभ और हानि को कैसे एडजस्ट किया जा सकता है, क्रिप्टो एसेट टैक्स सेट-ऑफ और आगे कैसे ले जाएं, भारत सरकार टैक्स स्कीम और रेगुलेशंस  2022 पर पढ़ें: https://www.coingabbar.com/en/crypto-blogs-details/is-set-off-of-loss-from-crypto-income-not-allowed


संक्षेप में, बजट ने क्रिप्टो करंसी को इनकम के नियमित स्रोत के बजाय एक टैक्सेशन इंस्ट्रूमेंट के रूप में स्वीकार किया है।


 सरकार ने एक सरल प्रणाली लागू की है जो सभी ट्रांसक्शन पर टैक्स की एक समान रैट लगती है। इससे मुकदमेबाजी और अस्पष्टता को कम करने में मदद मिलेगी।

 दूसरी तरफ, क्योंकि हर एक ट्रांसफर एक स्टैण्डर्ड रेट में हाई टैक्स रेट के अधीन होगा जिससे बिटकॉइन मार्केट में अवरोध हो सकता है। 

इसके अलावा, यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि टोकन की माइनिंग और होल्डिंग को टैक्सेबल माना जाएगा या नहीं। यदि ऐसा है, तो माइनर्स और धोखेबाज़ों से जुड़े हर एक ट्रांसक्शन पर 30% (साथ ही कोई लागू सरचार्ज और सेस) का टैक्स लगेगा, जिसे घटाकर क्रिप्टो निवेशों पर कैपिटल गेन्स या प्रॉफिट होगा।


व्हाट यूअर ओपिनियन
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