सस्ता टोकन का दावा करें रिजर्व का प्रमाण

US में CBDC बैन का शिगूफा, क्या भारतीय विपक्ष के लिए भी है संजीवनी

महत्वपूर्ण बिंदु
  • अमेरिका में 2024 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले उम्मीदवार वादों की झड़ी लगा रहे हैं, इनमें Ron DeSantis ने चुनाव जितने पर US में CBDS को बैन करने का वादा किया है।
  • जहां दुनियाभर के देश CBDC पर काम कर रहे हैं, वहीँ अमेरिका में यह विरोधाभास क्या प्रेसिडेंट इलेक्शन में कुछ कमाल कर पायेगा।
  • US में CBDC बैन का यह वाद, भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्ष के लिए भी संजीवनी साबित हो सकता हैं। क्योंकि भारत सरकार भी अपना CBDC लॉन्च करने की तैयारी में है।
17-Jul-2023 Rohit Tripathi
US में CBDC बैन का शिगूफा, क्या भारतीय विपक्ष के लिए भी है संजीवनी

CBDC लोकसभा चुनाव के लिए बन सकता है एक बड़ा मुद्दा   

अमेरिका के राज्य फ्लोरिडा के गवर्नर Ron DeSantis ने हाल ही में अपने द्वारा दिए गए बयान से सबको चौंका दिया है। दरअसल Ron DeSantis आने वाले 2024 के प्रेसिडेंट इलेक्शन में राष्टपति पद के उम्मीदवार है, ऐसे में अन्य उम्मीदवारों की तरह Ron DeSantis भी चुनाव जितने के लिए वादों की झड़ी लगा रहे है। लेकिन बीते दिनों उन्होंने कुछ ऐसा चुवानी वादा कर दिया, जो केवल चुनावी शिगूफा सा प्रतीत होता है। दरअसल Ron DeSantis ने अपने बयान में कहा कि अगर वे अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो वे सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी (CBDC) को बैन कर देंगे। उनका मानना है कि CBDC देश के नागरिकों की प्राइवेसी के लिए खतरा है। CBDC पर मचा घमासान आने वाले राष्ट्रपति चुनाव की रूपरेखा निर्धारित कर सकता हैं, क्योंकि US सरकार अपने CBDC को लॉन्च करने की योजना बना रही हैं, किन्तु क्रिप्टोकरंसी पर रेगुलेशन लाने की बात नहीं कर रही। लेकिन यह हाल केवल अमेरिका का नहीं है, बल्कि पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत का भी है। भारत भी अपनी CBDC लॉन्च की राह पर तो निकल गया है, लेकिन डेटा सुरक्षा वाले इस सवाल पर भारत सरकार के भी फंसने के चांस है। साथ ही भारत सरकार भी क्रिप्टो रेगुलेशन को लेकर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठा सकी है। ऐसे में विपक्ष के पास CBDC के रूप में एक बड़ा मुद्दा हैं, जिसे अगर वक्त रहते उठा लिया गया तो, 2024 में होने वाले लोकसभा इलेक्शन में सत्ता की बाजी पूरी तरह पलट सकती है।     

Rahul Gandhi और Arvind Kejriwal के लिए CBDC साबित हो सकता है संजीवनी

कांग्रेस पार्टी के युवा नेता और कथित प्रधानमंत्री कैंडीडेट Rahul Gandhi की राजनितिक रेलगाड़ी पिछले 2 चुनावों में पटरी से उतरी हुई ही नजर आई हैं। लेकिन अगर Rahul Gandhi भी CBDC और क्रिप्टोकरंसी के मुद्दे को उठा लेते हैं, तो हो सकता है इस बार सत्ता उनके नसीब में आ सकती है। क्योंकि भारत सरकार भी CBDC का नागरिकों की प्राइवेसी के लिए खतरा न होने से जुड़ा कोई प्रूव पेश नहीं कर सकी हैं। हालांकि इसके लिए भारत सरकार का 2024 के चुनाव से पहले CBDC लॉन्च करना जरूरी हैं, वर्ना कहीं ऐसा न हो कि Rahul Gandhi के CBDC का मुद्दा उठाने के बाद सरकार उसकी सारी खामियां दूर कर दे और बेचारे राहुल बाबा फिर एक बार प्रधानमंत्री बनने से चूक जाएँ। CBDC के साथ क्रिप्टोकरंसी भी एक ऐसा मुद्दा है, जिसपर भारत सरकार कुछ भी पूरे विश्वास के साथ कहने से बचती रही हैं। ऐसे में Rahul Gandhi के लिए क्रिप्टोकरंसी भी एक चुनावी संजीवनी का काम कर सकती हैं। ऐसा भी नहीं है कि Rahul Gandhi ने कभी  क्रिप्टोकरंसी को अपना चुनावी मुद्ददा बनाने का विचार नहीं किया है। इससे पहले साल 2022 में पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन को दिए  एक इंटरव्यू में Rahul Gandhi क्रिप्टोकरंसी में पोटेंशियल होने की बात कर उसे आने वाला फ्यूचर बता चुके है। लेकिन हाय रे Rahul Gandhi का कन्फ्यूजन वो एक मुद्दा छोड़कर दूसरा और दूसरे से तीसरा मुद्दा पकड़ लेते हैं। ऐसा करते-करते चुनाव नजदीक आ जाता है और वे जनता की बीच अपना एक मजबूत मुद्दा पेश ही नहीं कर पाते, जिससे नतीजा मिलता है केवल हार वो भी पहनने वाला नहीं नतीजों वाला।  

ऐसे ही हमारे आम आदमी पार्टी के कर्ताधर्ता और दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal भी CBDC को अपने चुनावी मुद्दे में शामिल करने के प्रबल दावेदार हैं। क्योंकि वादे करने में केजरीवाल जी को, जो महारथ हांसिल है वो वर्तमान में किसी भी अन्य नेता के पास नहीं है। दिल्ली की सत्ता में आने के लिए Arvind Kejriwal ने फ्री बिजली, फ्री पानी जैसे वादे किये थे। लेकिन उनका वादा कुछ यूँ पूरा हुआ कि बारिश के मौसम में दिल्लीवालों के लाइट के स्विच से पानी की धार बहने लगी। क्योंकि सीवरेज लाइन का काम दिल्ली सरकार ने कुछ ज्यादा ही लाजवाब कर दिया था। अब दिल्ली के लोग ये समझ नहीं पा रहे हैं कि लाइट के स्विच बाक्स से लाइट ऑन करें या फिर बाल्टी लगाकर पानी भरें। कहीं ऐसा न हो जाए की श्री मान Arvind Kejriwal साहब लोकसभा में CBDC के मुद्दे को उठाने के बजाए, उसके खिलाफ रामलीला मैदान में धरने पर न बैठ जाएं और लोकपाल की तरह CBDC के लिए भी अलग से कानून बनाने का एक और चुनावी शिगूफा छोड़ दे। पंजाब में भी AAP सरकार कुछ इसी तरह के चुनावी शिगुफों के बाद सत्ता में आयी थी और जीत के बाद में दिल्ली की तरह ही एक रट लगाकर यह कहने लगी कि “हमारे हाथ में तो कुछ नहीं है जी,हमें तो सेंटर वाले अमित शाह जी काम ही नहीं करने दे रहे है”।

वर्तमान सरकार को हराने के लिए सभी भारतीय विपक्षी दल एकजुट होकर अपनी शक्ति दिखाने का प्रयास कर रहे हैं और 2024 का लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ने की बात कर रहे हैं। यह कुछ ऐसा ही जैसे सभी अलग-अलग  कीमत वाली क्रिप्टोकरंसी साथ में आ गई हो। जिस तरह क्रिप्टो मार्केट में सभी टोकन की कीमत अलग-अलग है,  ठीक उसी तरह सभी भारतीय राजनितिक दलों की महत्वकांक्षा भी अलग-अलग है। ऐसे में किसी एक मुद्दे पर सभी का एक साथ आना उसी तरह नामुमकिन है, जिस तरह क्रिप्टो मार्केट का हमेशा स्थिर रहना। 

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व्हाट यूअर ओपिनियन
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