साल 2024 एक चुनावी साल है, जहाँ इस साल संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत जैसे बड़े देशों में चुनाव होने हैं। एक तरफ जहाँ भारत में लोकसभा चुनाव के माध्यम से प्रधानमंत्री चुनने के लिए जनता वोट डालेगी, तो वहीँ US में प्रेसिडेंट इलेक्शन में जनता अपने राष्ट्रपति का चुनाव करेगी। इसी के साथ दुनिया के कई छोटे देशों में भी इस साल चुनाव होंगे, जो इन देशों के आने वाले भविष्य को तय करेंगे। एक जानकारी के अनुसार 2024 में पूरी दुनिया में करीब 4 अरब लोग वोटिंग प्रक्रिया में भाग लेंगे। लेकिन 2024 के चुनाव को एक बड़ी समस्या ने अपने घेरे में ले लिया हैं, यह समस्या कोई और नहीं बल्कि वर्तमान में लोगों की जरूरत बन चुकी Artificial Intelligence (AI) है।
दरअसल बीते कुछ समय में डेवलप होते AI सिस्टम से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि AI आने वाले इलेक्शंस में अपना प्रभाव डाल सकता है। इलेक्शंस पर AI से जुड़े खतरों को लेकर दुनिया भर के टेक लीडर्स भी चिंतित है। हाल ही में AI डेवलप करने वाली 20 टेक फर्म्स ने इस बात को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है कि दुनिया भर में होने वाले इलेक्शंस में #AI प्रोडक्ट्स से जोखिम उत्पन्न हो सकता है। AI के उपयोग को इलेक्शन में सिमित करने के लिए इन 20 टेक लीडर्स ने एक एग्रीमेंट किया हैं। इस एग्रीमेंट के अनुसार AI प्रोडक्ट की मदद से बनाए गए कंटेंट, विडियो, इमेज आदि जनता को गुमराह कर सकते हैं। जिससे चुनावी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती हैं, ऐसे में इसके उपयोग को सिमित किया जाना चाहिए। बताते चले कि जिन 20 टेक कम्पनियों द्वारा AI के उपयोग को इलेक्शन में सिमित करने के लिए एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किये गये उनमें #Microsoft, Google, Adobe, Amazon, Anthropic, Arm, ElevenLabs, IBM, Inflection AI, LinkedIn, McAfee, Meta, Nota, OpenAI, Snap, Stability AI, TikTok, TrendMicro, Truepic और X जैसी बड़ी फर्म्स शामिल हैं।
Coin Gabbar के अनुसार टेक कम्पनियों द्वारा लिया गया फैसला एकदम सही हैं, क्योंकि Artificial Intelligence (AI) इलेक्शन को प्रभावित कर सकता हैं। जिससे जुड़े कई उदहारण बीते समय में देखने को मिले हैं। जैसे हाल ही में US में राष्ट्रपति Joe Biden की Deepfake वॉइस के माध्यम से उनके इलेक्शन कैम्पेन को कमजोर करने की कोशिश की गई थी। दरअसल New Hampshire के निवासियों को राष्ट्रपति Biden की नक़ल करते हुए स्टेट के प्राइमरी इलेक्शन में वोटिंग न करने की सलाह देने वाला एक फेक वॉइस मैसेज प्राप्त हुआ था। हालाँकि Federal Communications Commission (FCC) द्वारा इस घटना के बाद टेलीफोन कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (TCPA) के तहत AI जनरेटेड आवाजों के साथ की गई कॉल्स पर प्रतिबंध लगाया गया है। ठीक इसी तरह भारतीय प्रधानमंत्री Narendra Modi की भी AI जनरेटेड ऑडियो और विडियो आए दिन सोशल मिडिया पर वायरल होती रहती हैं। ऐसे में किसी भी बड़े पॉलिटिशियन की ऑडियो या वीडियों में AI के माध्यम से छेड़छाड़ करके जनता को भ्रमित किया जा सकता है। इससे न केवल उस व्यक्ति और पार्टी दोनों की इमेज जनता के बीच खराब की जा सकती हैं, बल्कि इस तरह AI चुनावों के परिणाम को भी बदल सकता है।
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