संयुक्त राज्य अमेरिका ने Artificial Intelligence (AI) पर बड़ी कार्रवाई करते हुए AI जनरेटेड आवाजों को US में प्रतिबंधित कर दिया हैं। अमेरिकी सरकार ने यह कदम राष्ट्रपति Joe Biden की Deepfake वॉइस के बाद उठाया है। ऑटोमेटेड फोन स्कैम्स में उपयोग की जाने वाली AI जनरेटेड वॉइसेस अब अमेरिकी टेलीमार्केटिंग कानूनों के तहत अवैध मानी जाएंगी। इस कानून के अंतरगर्त हाल ही में फेक Biden रोबोकॉल कैंपेन में उपयोग की गई आवाजे भी प्रतिबंध की श्रेणी में आएंगी। AI जनरेटेड वॉइसेस पर प्रतिबंध का फैसला Federal Communications Commission (FCC) द्वारा लिया गया। कमीशन ने जारी किये अपने बयान में कहा कि, एजेंसी ने फैसला लिया है कि टेलीफोन कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (TCPA) के तहत 8 फरवरी से AI जनरेटेड आवाजों के साथ में की गई कॉल आर्टिफिशियल मानी जाएंगी। गौरतलब है कि FCC का यह प्रतिबंध New Hampshire के निवासियों को अमेरिका के राष्ट्रपति Joe Biden की नक़ल करते हुए स्टेट के प्राइमरी इलेक्शन में वोटिंग न करने की सलाह देने वाले फेक वॉइस मैसेज के प्राप्त होने के कुछ हफ़्तों बाद में लगाया गया है।
Coin Gabbar की माने तो संयुक्त राज्य अमेरिका का AI generated voices को टेलीफोन कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (TCPA) के तहत प्रतिबंधित करना AI पर सख्त कदम का संकेत है। क्योंकि वर्तमान में लगातार AI जैसी उभरती टेक्नोलॉजी के खतरे को लेकर दुनिया भर के देश अपनी-अपनी प्रतिक्रिया देते रहे हैं। साथ ही कई टेक लीडर्स Deepfake और AI चैटबॉट से जुड़े खतरों को लेकर कोई कठोर कदम उठाने की मांग भी करते रहे हैं। ऐसे में यह माना जा सकता है कि US का Artificial Intelligence जनरेटेड वॉइसेस पर प्रतिबंध लगाना, AI जैसी टेक्नोलॉजी पर लगाम लगाने की शुरुआत है। बताते चले कि यूरोपियन यूनियन के मेंबर स्टेट्स द्वारा हाल ही में AI पर बनाया गया दुनिया का पहला एडवांस एक्ट बहुमत से पास किया गया है। जो अब कानून बनने के लिए देश के सदन के समक्ष पेश होगा। जानकारी के अनुसार 2025 तक EU इस कानून को देश में लागू कर सकता है।
दुनिया के अन्य देश भी Artificial Intelligence से जुड़े खतरे को समझते हैं और इसको लेकर रेगुलेशन की मांग करते नजर आते हैं। ऐसी ही मांग हाल ही में G20 समिट के दौरान भारत ने भी की थी। दरअसल समिट की अध्यक्षता कर रहे भारत के प्रधानमंत्री Narendra Modi ने G20 के सदस्य देशों के समक्ष AI रेगुलेशन पर मिलकर कार्य करने की बात कही थी। हालाँकि वर्तमान में G20 देश मिलकर क्रिप्टो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के निर्माण की दिशा में कार्य कर रहे हैं, ऐसे में फिलहाल इसके निर्माण के बाद ही AI रेगुलेशन की दिशा में कोई फैसला लिया जा सकता है।
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