भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा मंगलवार को एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया है, जिसके अनुसार क्रिप्टो करंसी जैसे डिजिटल ऐसेट्स पर अब धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 लागू होगा। अर्थात क्रिप्टो करंसी से जुड़े अवैध लेनदेन मनी लॉन्ड्रिंग कानून के अंतर्गत आएंगे। वित्त मंत्रालय की ओऱ से जारी किये गए गजट नोटिफिकेशन में कहा गया कि क्रिप्टो करंसी में ट्रांजेक्शन करना, उसे अपने पास रखना आदि अब धनशोधन निवारण कानून के अंतर्गत आएगा। ऐसे में अब भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों को क्रिप्टो करंसी से जुड़ी सदिग्ध गतिविधियों की जानकारी Financial Intelligence Unit of India (FIU India) को देना होगी।
भारत सरकार द्वारा क्रिप्टो करंसी से जुड़े इस कानून को लागू करने को क्रिप्टो करंसी रेगुलेशन की दिशा में उठाये गए अहम कदम के रूप में देखा जा रहा हैं। जानकारों का मानना है कि भारत सरकार क्रिप्टो करंसी जैसे डिजिटल ऐसेट्स पर धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 लागू कर, क्रिप्टो करंसी के माध्यम से होने वाले अवैध कार्यों को रोकना चाहती हैं। बताते चले कि धनशोधन निवारण अधिनियम 2002 भारत में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा कानून हैं।
अवैध गतिविधियों और अपराधों में काले धन के इस्तेमाल को रोकना, मनी लॉन्ड्रिंग से प्राप्त संपत्ति का जब्तीकरण आदि इस कानून के अंतर्गत आते हैं। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर 3 साल की सजा का प्रावधान है। सरकार द्वारा उठाया जा रहा यह कदम देश में क्रिप्टो करंसी में निवेश करने वालों के लिए एक मिलीजुली खबर हैं। क्योंकि कुछ लोग इस कदम को क्रिप्टो करंसी रेगुलेशन की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देख रहे हैं, तो कुछ लोगों का मानना है कि सरकार के इस कदम से निवेशकों में डर उत्पन्न हो जाएगा। हालांकि सरकार इस कदम के माध्यम से अवैध गतिविधियों में बढ़ते क्रिप्टो करंसी के उपयोग को रोकना चाहती हैं।
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