ने AI को लेकर दिए अपने एक बयान से सबको चौंका दिया है। दरअसल Google के CEO Sundar Pichai ने हाल ही में एक साक्षात्कार में AI की तुलना परमाणु हथियार से की है।
Google के CEO Sundar Pichai ने हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किये है। एक साक्षात्कार के दौरान Pichai ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के तेजी से होते विकास को लेकर चेतावनी देते हुए कहा कि समाज को इस नई टेक्नोलॉजी के अनुकूल होने के लिए अभी समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि AI बहुत शक्तिशाली है, आप इसे लेकर काम करना चाहते है, लेकिन समाज को इसके अनुकूल होने में काफी समय लगेगा। उन्होंने आगे कहा कि हम जिस गति से सोच रहे है और जिस गति से टेक्नोलॉजी में विकास हो रहा है, दोनों में ही तालमेल नहीं है। ऐसे में उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर AI का सही इस्तेमाल नही किया गया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। उन्होंने आगे बयान देते हुए AI को परमाणु बम की तरह बताया। पिचाई ने कहा कि AI टेक्नोलॉजी पर नियंत्रण जरुरी है, इससे गलत सुचना तैयार की जा सकती है, जो पूरी दुनिया के लिए खतरनाक है। ऐसे में इसका नियंत्रण उसी तरह किया जाना चाहिए, जिस तरह से परमाणु हथियारों का नियंत्रण किया जाता है। इसी के साथ Sundar Pichai ने AI को नियंत्रित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता बताई है।
गौरतलब है कि वर्तमान में Google भी OpenAI के ChatGPT की तरह चैटबॉट के निर्माण पर कार्य कर रहा है। लेकिन Sundar Pichai का यह बयान दुविधा उत्पन्न करता है। यह बयान ठीक Twitter के CEO Elon Musk के बयान की तरह लगता है, जो कुछ दिनों पहले AI को मानवता के लिए ख़तरा बता रहे थे, लेकिन हाल ही में AI पर कार्य करने के लिए एक कंपनी का रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। वर्तमान में जो भी घटनाक्रम चल रहा है, वह एक ही बात की तरफ इशारा कर रहा है कि ChatGPT का निर्माण कर OpenAI आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, के उपयोग की इस चल रही रेस में काफी आगे निकल चुका है। इसी के चलते कम्पनियों की ओर से सार्वजानिक रूप से इस टेक्नोलॉजी को ख़तरा बताया जा रहा है, किन्तु अंतरखाने इस टेक्नोलॉजी के डेवलपमेंट की दिशा में लगातार कार्य किये जा रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि AI को लेकर कम्पनियों के साथ सभी देशों की सरकारे क्या रुख अपनाती है। क्योंकि हाल ही में इटली, चीन, रूस जैसे बड़े देशों ने OpenAI के ChatGPT पर सुरक्षा कारणों के चलते अस्थाई रूप से प्रतिबन्ध लगाया था।
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