इस साल की G20 बैठक की अध्यक्षता भारत कर रहा है जिसमें इसका प्राथमिक लक्ष्य क्रिप्टो एसेट्स को रेगुलेट करने के लिए एक फ्रेमवर्क बनाना है जो सभी देशों पर लागु किया जा सके। G20 बैठक लगातार जारी है जिसमें भारत क्रिप्टो रेगुलेशन पर SOP विकसित करने के लिए G20 देशो के साथ मिलकर लगातार काम कर रहा हैं। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए भारत ने ग्लोबल क्रिप्टो नियमों के निर्माण में अपने सुझावों को शामिल करने के लिए क्रिप्टो पर अपना प्रेसिडेंसी नोट जारी कर दिया है।
FSB द्वारा 2020 में क्रिप्टो रेगुलेशन को लेकर 10 हाई लेवल सुझाव दिए गए थे, जिनमें ग्लोबल क्रिप्टो रेगुलेशन और सुवरविजन आदि शामिल थे। भारत द्वारा जारी किये गए प्रेसिडेंसी नोट में इस बात का भी संकेत है कि ग्लोबल क्रिप्टो रेगुलेशन फ्रेमवर्क के निर्माण में इन सुझावों को भी शामिल किया जाएगा।
यह नोट इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह फाइनेंसियल स्टेबिलिटी बोर्ड (FSB) और इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (IMF) द्वारा सिंथेसिस पेपर जारी करने से पहले, क्रिप्टो पर भारत के स्टेंड को बताता है। जिसका उपयोग ग्लोबल क्रिप्टो रेगुलेशन में किया जा सकता है। सिंथेसिस पेपर अगस्त के अंत में जारी किया जा सकता है। IMF ने भी घोषणा की है कि यह सिंथेसिस पेपर लीडर्स सम्मिट में जारी करेगा। नोट में क्रिप्टो के जोखिमों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सभी जूरिडिक्शन तक पहुंच बढ़ाने के लिए नॉन G-20 सदस्यों के साथ IMF एवं FSB को भी शामिल करने की बात कही गई है।
क्रिप्टो एसेट को रेगुलेट करने के भारत के प्रस्ताव पर, G20 सदस्य इस बात को स्वीकार कर रहे है कि क्रिप्टो एसेट्स पर की कई कोई भी कार्रवाई ग्लोबली ही होनी चाहिए। G20 और उसके सदस्य इस बात से सहमत हैं कि किसी एक देश के लिए क्रिप्टो एसेट से निपटना और इसपर रेगुलेशन बनाना संभव नहीं होगा। G20 देशों ने मल्टीलेटरल डेवलपमेंट बैंक्स को मजबूत करने और वैश्विक ऋण कमजोरियों के प्रबंधन पर भी भारत की पहल का समर्थन किया है।
एक ग्लोबल और सिंपल रोडमैप बनाने का उद्देश्य सभी देशों में क्रिप्टो एसेट्स के लिए एक सर्व सहमत मिनिमम पालिसी स्टेंडर्ड बनाने में मदद करना है। इस रोडमैप के माध्यम से राष्ट्रों की व्यापक आर्थिक, वित्तीय स्थिरता और वित्तीय अखंडता की रक्षा करना के साथ उचित निवेशक/उपयोगकर्ता जागरूकता, शिक्षा और सुरक्षा प्रदान करना है। साथ ही साथ अंतर्निहित प्रौद्योगिकी के विकास को सुविधाजनक बनाना और वित्तीय क्षेत्र में नवाचारों को प्रोत्साहित करना है। इस रोडमैप के माध्यम से G20 देश एक ऐसा क्रिप्टो रेगुलेटेड फ्रेमवर्क का निर्माण करना चाहते हैं, जो सभी देशों द्वारा मान्य हो। साथ ही उसका इम्प्लीमेंट भी आसानी से किया जा सके।
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