सस्ता टोकन का दावा करें रिजर्व का प्रमाण

रेगुलेशन के बाद क्या US Dollar पर भारी पड़ेगी Cryptocurrency

महत्वपूर्ण बिंदु
  • G20 देशों ने भारत की अध्यक्षता में आयोजित G20 समिट में क्रिप्टो रेगुलेशन पर एक ग्लोबल फ्रेमवर्क पर सहमती व्यक्ति की है।
  • भारत के प्रधानमंत्री Narendra Modi Cryptocurrency को लेकर यह कह चुके है कि क्रिप्टो वित्तीय स्थिरता और सामाजिक व्यवस्था के लिए एक नया विषय है।
  • अगर Cryptocurrency पर कोई ग्लोबल फ्रेमवर्क बन जाता है तो उसका सीधा असर US Dollar पर होगा। हो सकता है कि आने वाले समय में ट्रेड के लिए क्रिप्टो का ही उपयोग हो।
12-Sep-2023 By: Rohit Tripathi
रेगुलेशन के बाद क्या

क्रिप्टो रेगुलेशन पर जल्द है बन सकता है एक फ्रेमवर्क 

वर्तमान में सभी ग्लोबल लीडर्स एक ही बात को लेकर चिंतित है, वह है क्रिप्टोकरंसी रेगुलेशन के लिए किसी तरह के फ्रेमवर्क का निर्माण करना। इसीलिए भारत की अध्यक्षता में आयोजित G20 की बैठक में सभी ग्लोबल लीडर्स ने क्रिप्टो रेगुलेशन पर एक  फ्रेमवर्क के लिए अपनी सहमति व्यक्ति की। जहाँ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी के समक्ष यह मांग रखी की क्रिप्टो पूरी दुनिया की वित्तीय स्थिरता और समाजिक व्यवस्था के लिए नया विषय है, इसमें निवेश से जुड़े कई जोखिम भी है, जिन्हें कम करने के लिए इसे रेगुलेट करना आवश्यक है। भारत की इस मांग पर सभी G20 देशों ने अपनी सहमती व्यक्ति की। इसके बाद क्रिप्टोकरंसी रेगुलेशन से जुड़े एक ग्लोबल फ्रेमवर्क के लिए रास्ता खुल गया। अब जल्द ही भारत समेत सभी ग्लोबल लीडर्स, IMF और FSB जैसी बड़ी संस्थाओं के सुझाव के साथ एक ग्लोबल फ्रेमवर्क के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। 

क्रिप्टोकरंसी का रेगुलेट होना Dollar के लिए हो सकता है खतरा 

वर्तमान में अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश है और इसकी करंसी डॉलर को दुनिया के हर देश द्वारा आपसी ट्रेड के लिए उपयोग किया जाता है। भारत, चीन, रूस और ब्रिटेन जैसे सभी बड़े देश अपनी सेंटर बैंक डिजिटल करंसी (CBDC) की दिशा में कार्य कर रहे हैं, लेकिन US डॉलर को किसी एक देश की करंसी के द्वारा चुनौती देना काफी मुश्किल है। ऐसे में क्रिप्टोकरंसी, खासकर Bitcoin को लोग डॉलर का मुकाबला करने के लिए सही करंसी मानते हैं। इसके पीछे की एक मुख्य वजह यह है कि क्रिप्टोकरंसी के निवेशक दुनिया के हर देश में मौजूद है। कहीं-कहीं पर तो लोग इसे अपने डेली ट्रांजेक्शन में भी इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में दुनिया के हर देश में क्रिप्टोकरंसी के यूजर्स की संख्या मिलियंस में है। वहीँ BTC का डॉलर को टक्कर देना इसलिए मुमकिन है, क्योंकि BTC सबसे पुरानी और सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरंसी हैं। क्रिप्टो मार्केट में भी BTC का डोमिनेंस अन्य करंसी की तुलना में कही ज्यादा है। अगर क्रिप्टो पर कोई ग्लोबल रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बन जाता हैं, तो यह डॉलर को कड़ी टक्कर दे सकती है। वहीँ G20 समिट में सभी देश भी क्रिप्टो रेगुलेशन पर ग्लोबल फ्रेमवर्क को लेकर अपनी सहमती दे चुकें हैं। ऐसे में उम्मीद तो यही है कि आने वाले साल तक यह रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनकर तैयार हो जाए। 

यह भी पढ़िए : Crypto पर भारत के सुझाव के आगे नतमस्तक हुआ G20, मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी?

व्हाट यूअर ओपिनियन
सम्बंधित खबर
संबंधित ब्लॉग
`