वर्तमान में सभी ग्लोबल लीडर्स एक ही बात को लेकर चिंतित है, वह है क्रिप्टोकरंसी रेगुलेशन के लिए किसी तरह के फ्रेमवर्क का निर्माण करना। इसीलिए भारत की अध्यक्षता में आयोजित G20 की बैठक में सभी ग्लोबल लीडर्स ने क्रिप्टो रेगुलेशन पर एक फ्रेमवर्क के लिए अपनी सहमति व्यक्ति की। जहाँ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी के समक्ष यह मांग रखी की क्रिप्टो पूरी दुनिया की वित्तीय स्थिरता और समाजिक व्यवस्था के लिए नया विषय है, इसमें निवेश से जुड़े कई जोखिम भी है, जिन्हें कम करने के लिए इसे रेगुलेट करना आवश्यक है। भारत की इस मांग पर सभी G20 देशों ने अपनी सहमती व्यक्ति की। इसके बाद क्रिप्टोकरंसी रेगुलेशन से जुड़े एक ग्लोबल फ्रेमवर्क के लिए रास्ता खुल गया। अब जल्द ही भारत समेत सभी ग्लोबल लीडर्स, IMF और FSB जैसी बड़ी संस्थाओं के सुझाव के साथ एक ग्लोबल फ्रेमवर्क के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
वर्तमान में अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश है और इसकी करंसी डॉलर को दुनिया के हर देश द्वारा आपसी ट्रेड के लिए उपयोग किया जाता है। भारत, चीन, रूस और ब्रिटेन जैसे सभी बड़े देश अपनी सेंटर बैंक डिजिटल करंसी (CBDC) की दिशा में कार्य कर रहे हैं, लेकिन US डॉलर को किसी एक देश की करंसी के द्वारा चुनौती देना काफी मुश्किल है। ऐसे में क्रिप्टोकरंसी, खासकर Bitcoin को लोग डॉलर का मुकाबला करने के लिए सही करंसी मानते हैं। इसके पीछे की एक मुख्य वजह यह है कि क्रिप्टोकरंसी के निवेशक दुनिया के हर देश में मौजूद है। कहीं-कहीं पर तो लोग इसे अपने डेली ट्रांजेक्शन में भी इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में दुनिया के हर देश में क्रिप्टोकरंसी के यूजर्स की संख्या मिलियंस में है। वहीँ BTC का डॉलर को टक्कर देना इसलिए मुमकिन है, क्योंकि BTC सबसे पुरानी और सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरंसी हैं। क्रिप्टो मार्केट में भी BTC का डोमिनेंस अन्य करंसी की तुलना में कही ज्यादा है। अगर क्रिप्टो पर कोई ग्लोबल रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बन जाता हैं, तो यह डॉलर को कड़ी टक्कर दे सकती है। वहीँ G20 समिट में सभी देश भी क्रिप्टो रेगुलेशन पर ग्लोबल फ्रेमवर्क को लेकर अपनी सहमती दे चुकें हैं। ऐसे में उम्मीद तो यही है कि आने वाले साल तक यह रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनकर तैयार हो जाए।
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