Bitcoin दुनिया की सबसे पुरानी क्रिप्टो करंसी हैं, जिसकी शुरुआत वर्ष 2009 से मानी जाती है। लोगों के बीच आते ही Bitcoin इनता ज्यादा लोकप्रिय हो गया कि एक समय यह 50 लाख रूपये के अपने उच्च स्तर को छुकर वापस आ गया। अर्थात 1 Bitcoin ने 50 लाख रूपये की कीमत को छुआ। लेकिन क्या आप जानते है कि Bitcoin की माइनिंग में सबसे ज्यादा बिजली खर्च होती है। इसकी माइनिंग में लगभग 210.50 Tbh सालाना बिजली की खपत होती है। जो अफगानिस्तान, श्रीलंका, थाईलेंड जैसे देशों द्वारा साल भर में खर्च की जाने वाली बिजली से कई अधिक है।
इतना ही नहीं आपको बता दे कि प्रत्येक Bitcoin के ट्रांजैक्शन पर करीब 250 किलोवॉट बिजली खर्च होती है, जो किसी भी एक परिवार द्वारा एक माह में खर्च की गई औसत बिजली के बराबर होता है। गौरतलब है कि ज्यादा बिजली की खपत के कारण ही कई देश अपने यहां Bitcoin की माइनिंग पर रोक लगा चुके हैं। आये दिनों क्रिप्टो करंसी माइनिंग के लिए बिजली चोरी की घटनाएं सामने आती रहती है। सभी देशों की सरकार चाहती है कि Bitcoin और इसके जैसी अन्य करंसी की माइनिंग एवं इसके रेगुलेशन से जुड़े कानून बनाए जाएं। साथ ही इस समस्या का एक वैश्विक समाधान निकाला जाए, क्योंकि Bitcoin जैसी क्रिप्टो करंसी द्वारा की जा रही बिजली की बेतहाशा खपत, भविष्य में बिजली संकट उत्पन्न कर सकती हैं।
बता दे कि G20 देश, भारत की अध्यक्षता में मिलकर क्रिप्टो करंसी पर एक SOP निर्माण करने की दिशा में कार्य कर रहे है। भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी लोकसभा में क्रिप्टो करंसी को लेकर भारत का स्टेंड क्लियर कर चुकी हैं। वे कह चुकी हैं कि क्रिप्टो करंसी का रेगुलेशन किसी भी एक देश के द्वारा नहीं किया जा सकता। इसके लिए सभी देशों को मिलकर कार्य करने होंगे।
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