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दिमाग को पढ़कर रियल टाइम इमेज बनाएगा Meta का नया AI

महत्वपूर्ण बिंदु
  • Meta ने एक AI सिस्टम का अनावरण किया है जो दिमाग में आए विचारों को भी डिकोड कर सकता है।
  • Meta का AI सिस्टम प्रति सेकंड हजारों मस्तिष्क गतिविधि को माप कर हमारे दिमाग की गतिविधियों के आधार पर छवियाँ बना सकता है।
  • Meta के रिसर्चर्स का कहना है की वैसे तो यह सिस्टम बहुत तेज काम करता है लेकिन इसकी इमेज जनरेशन अभी सटीक नहीं है।
19-Oct-2023 By: Shailja Joshi
दिमाग को पढ़कर रियल ट

Meta लाया एक नया AI सिस्टम जो पढ़ सकता है दिमाग 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(AI) में आए दिन कोई न कोई डेवलपमेंट देखने को मिल रहे है। टेक कम्पनियां इसमें नई-नई टेक्नॉलोजी जोड़ रही है। अब Meta ने एक AI सिस्टम का अनावरण किया है जो दिमाग में आए विचारों को भी डिकोड कर सकता है। Meta का AI सिस्टम प्रति सेकंड हजारों मस्तिष्क गतिविधि को माप कर हमारे दिमाग की गतिविधियों के आधार पर छवियाँ बना सकता है। यह AI सिस्टम रियल टाइम में दिमाग की गतिविधियों को डिकोड कर सकता है। इसके लिए सिस्टम Meta के ओपन सोर्स फाउंडेशन मॉडल DINOv2 का उपयोग करेगा। हालाँकि यह अभी प्रारंभिक कार्य है और इसमें और प्रगति की उम्मीद है। यह रिसर्च मस्तिष्क के रहस्यों को जानने के लिए कंपनी की चल रही पहल का हिस्सा है। Meta के रिसर्चर्स का कहना है की वैसे तो यह सिस्टम बहुत तेज काम करता है लेकिन इसकी इमेज जनरेशन अभी सटीक नहीं है। 

यह तकनीक विचारों का वास्तविक समय में विज़ुअल रिप्रजेंटेशन करने के लिए magnetoencephalography (MEG) टेक्नॉलोजी का उपयोग करती है। MEG एक नॉन-इनवेसिव न्यूरोइमेजिंग तकनीक है जो मस्तिष्क में न्यूरोनल गतिविधि द्वारा उत्पन्न मैग्नेटिक फिल्ड को मापती है। इन मैग्नेटिक सिग्नल्स को कैप्चर करके, MEG मस्तिष्क के कार्य की जानकारी प्रदान करता है, जिससे रिसर्चर्स को हाई टेम्पोरल रिज़ॉल्यूशन के साथ मस्तिष्क गतिविधि का अध्ययन करने की अनुमति मिलती है। हालाँकि Meta का नया इनोवेशन AI के क्षेत्र में दिमाग पढ़ने वाला एकमात्र सिस्टम नहीं है। हाल ही में Berkeley में University of California के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में मस्तिष्क गतिविधि को स्कैन करके संगीत बनाने की AI की क्षमता का प्रदर्शन भी किया गया था।

प्राइवेसी को हो सकता है खतरा 

AI और न्यूरोटेक्नोलॉजी में यह इनोवेशन शारीरिक विकलांग व्यक्तियों के लिए जीवन बदलने वाली तकनीक हो सकती है। लेकिन इस प्रकार के AI सिस्टम ने प्राइवेसी की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। इससे पहले भी Meta पर कंस्यूमर प्राइवेसी को लेकर अरबों का जुर्माना लगाया जा चुका है। साथ ही इसके पहले के AI टूल्स को लेकर भी प्राइवेसी की चिंताए जताई गई है। इमेज डिकोडर का उपयोग बिना किसी लिमिटेशन के होने पर यह जोखिम भी है कि इसका डेटा हैकिंग या अन्य सिक्योरिटी ब्रीच के माध्यम से गलत हाथों में पड़ सकता है।  

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व्हाट यूअर ओपिनियन
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