अमेरिकी सरकार वर्तमान में दुनिया की सबसे ताकतवर और मजबूत सरकार के रूप में जानी जाती हैं। अमेरिका की करंसी US Dollar को भी दुनिया की सबसे मजबूत करंसी माना जाता हैं, इसलिए वैश्विक रूप से ट्रांजेक्शन के लिए US Dollar का ही उपयोग किया जाता हैं। लेकिन बीते कुछ समय से चीनी नेतृत्व वाले CBDS ने वैश्विक स्तर पर अपनी पकड़ को मजबूत किया हैं। ऐसे में अंतरखाने यह बात होने लगी है कि कहीं CBDC, US Dollar का स्थान तो नहीं ले लेगी। हालंकि वर्तमान में CBDC को लेकर आम लोगों के साथ वैश्विक रूप से सरकारों का रुख सकारात्मक हो रहा हैं, क्योंकि CBDC एक सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा है, जो किसी भी देश द्वारा जारी की जा सकती हैं।
जानकारी के लिए बता दे कि वर्तमान में G20 नेशन के 90 प्रतिशत सदस्य देश CBDC के विकल्प तलाश रहे हैं। वहीं वर्तमान में चीन CBDC के विकास में सबसे आगे हैं। ऐसे में वह समय दूर नहीं हैं, जब US Dollar का स्थान सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) ले लेगी। हालांकि अमेरिकी डॉलर के समर्थक मानते हैं कि CBDC से US Dollar के प्रभुत्व पर कोई प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि CBDC पर चीन की महत्वकांक्षा केवल घरेलू प्रभुत्व को बनाने की है, अमेरिकी डॉलर को मात देने की नहीं हैं।
बताते चले कि हाल ही में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अपने CBDC-डिजिटल डॉलर प्रोजेक्ट का नया संस्करण पेश किया गया था। लेकिन अमेरिकी सरकार द्वारा इस CBDC परियोजना को मंजूरी नहीं मिली, जिसके बाद से ही अमेरिका के CBDC में पिछड़ने की खबरे सामने आने लगी थी। गौरतलब है कि CBDC के कुछ विरोधियों का मानना है कि राज्य अपने नागरिकों पर वित्तीय नियंत्रण बनाए रखने के लिए ब्लॉकचेन-संचालित CBDC को अपना रहे हैं। लेकिन जो भी हो आने वाले समय में हर देश की अपनी सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी (CBDC) होगी, ऐसे में यदि CBDC परियोजना में अमेरिका पीछे रहा तो, US Dollar के प्रभुत्व पर इसका कुछ न कुछ प्रभाव तो पड़ेगा।
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