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बढ़ते AI स्पेस के बीच क्या Deepfake से निपट पाएगा WhatsApp

महत्वपूर्ण बिंदु
  • वर्तमान में बढ़ते AI स्पेस के बीच Deepfake एक बड़ी समस्या बन चुका है।
  • Deepfake जैसी समस्या से निपटने के लिए WhatsApp ने फैक्ट चेकिंग हेल्पलाइन शुरू करने की घोषणा की है।
  • इससे पहले 20 टेक कम्पनियों ने AI का चुनावो में उपयोग सिमित करने के लिए, एक एग्रीमेंट पर साइन किये थे।
22-Feb-2024 By: Rohit Tripathi
बढ़ते AI स्पेस के बीच

Deepfake से लड़ने के लिए WhatsApp का नया प्लान

Artificial Intelligence के बढ़ते दौर में हर कोई इस टेक्नोलॉजी को अपनाना और इससे जुड़ी रेस में आगे निकलना चाहता है। AI से जुड़े टूल्स जैसे ChatGPT और Bard से जहाँ लोगों को कई तरह की सुविधाएं मिल रही हैं, वहीँ इस टेक्नोलॉजी ने Deepfake जैसे खतरे को भी जन्म दे दिया है। यह एक ऐसा खतरा है, जो वर्तमान में न केवल किसी व्यक्ति की प्राइवेसी को हानि पहुँचाता है, बल्कि यह आम लोगों के लिए फाइनेंशियल और सोशल लॉस का कारण भी बन सकता है। ऐसे में दिग्गज टेक फर्म Meta ने Deepfake के इस खतरे से निपटने के लिए एक नया प्लान बनाया है। दरअसल Meta ने हाल ही में अपने सोशल मिडिया प्लेटफॉर्म WhatsApp पर फैक्ट चेंकिंग हेल्पलाइन शुरू करने की घोषणा की हैं। इस हेल्पलाइन को शुरू करने के लिए Meta ने Misinformation Combat Alliance (MCA) के साथ में हाथ मिलाया हैं। इस हेल्पलाइन का मुख्य उद्देश्य Deepfake पर AI जनरेटेड मिसलीडिंग कंटेंट से निपटना है। जानकारी के अनुसार मेटा का यह चैटबॉट अगले महीने यानी मार्च से आम यूजर्स के लिए हिंदी, अंग्रेजी, तमिल और तेलुगू सहित 3 क्षेत्रीय भाषों में उपलब्ध होगा। गौरतलब है कि यूजर्स WhatsApp के चैटबॉट पर ही इस सुविधा का उपयोग कर सकेंगे। 

क्या Deepfake से लड़ने में कामयाब हो सकेगा WhatsApp  

भारतीय प्रधानमंत्री Narendra Modi, अमेरिकी राष्ट्रपति Joe bidan जैसे बड़े राजनेता Deepfake टेक्नोलॉजी का शिकार बन चुके हैं। वहीँ सिंगर Taylor Swift, बॉलीवुड अभिनेत्री Rashmika Mandanna, अभिनेत्री Alia Bhatt और अभिनेता Amitabh Bachhan जैसे बड़े सेलेब्रिटी भी इस टेक्नोलॉजी के चलते परेशानी का सामना कर चुके हैं। जिसके बाद AI रेगुलेशन को लेकर पूरे विश्व में चर्चाएँ शुरू हो चुकी हैं। वहीँ भारत सरकार ने DeepFake पर सख्त कदम उठाते हुए इसपर लगाम लगाने के लिए जरूरी प्रयास की भी घोषणा की है। खुद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी AI रेगुलेशन को लेकर दुनिया के सभी देशों को साथ आने का आह्वान कर चुके हैं। हाल ही में 20 बड़ी टेक कम्पनियों ने भी आने वाले चुनावों में AI के उपयोग को सिमित करने और इससे उत्पन्न गलत जानकारी से निपटने के लिए एक एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं। इन टेक कम्पनियों में Meta के साथ Microsoft, Google, Adobe, Amazon, IBM, LinkedIn, OpenAI, TikTok और X जैसी बड़ी फर्म्स शामिल हैं। 

Coin Gabbar के अनुसार Meta के द्वारा Deepfake से निपटने को लेकर लगातार काम किया जा रहा है। कुछ दिन पहले Meta, Facebook, Instagram और Threads जैसे अपने प्लेटफॉर्म्स पर वॉटरमार्क के माध्यम से पहचाने जाने वाले AI जनरेटेड कंटेट को लेबल करने की अपनी योजना का खुलासा कर चुकी हैं। लगातार AI से जुड़े खतरों को पहचानकर उनके समाधान की दिशा में कार्य कर रही फर्म Meta, अपने प्रयासों से Deepfake जैसे AI सिस्टम से निपटने के प्रयास में लगी हुई हैं। हालाँकि यह तभी संभव हो सकेगा, जब सभी टेक और AI डेवलपर कम्पनियां Deepfake से जुड़े किसी ऐसे प्लान पर काम करें, जिसके माध्यम से Deepfake से बने कंटेंट की पहचान आसानी से हो सके। फिलहाल WhatsApp जैसे बड़े प्लेटफॉर्म पर Deepfake से बने कंटेंट की पहचान के लिए फैक्ट चेंकिंग हेल्पलाइन की शुरुआत इसके करोड़ों यूजर्स के लिए एक राहत देने वाली खबर है। 

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