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क्रिप्टोकरेंसी को क्रिमिनल लॉ में शामिल करना चाहते हैं Ex CJI

महत्वपूर्ण बिंदु
  • भारत के पूर्व चीफ जस्टिस U.U. Lalit ने बीते दिनों नई भारतीय न्याय संहिता का स्वागत किया है।
  • जल्द लागू की जाने वाली इस दंड संहिता (Penal Code) को लेकर Ex CJI ने कहा कि इसमें क्रिप्टोकरेंसी और साइबर क्राइम्स को भी शामिल किया जाना चाहिए।
  • भारत में क्रिप्टोकरेंसी और साइबर क्राइम्स से जुड़े कोई विशेष कानून नहीं है, इन्हें समान चोरी की श्रेणी में ही रखा जाता है।
06-Mar-2024 By: Rohit Tripathi
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Ex CJI ने कहा, क्रिप्टोकरेंसी और क्रिप्टो क्राइम्स है एक वास्तविकता

भारत में लगातार क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बाते की जाने लगी हैं। जहाँ पहले इस इंडस्ट्री से जुड़े लोग ही इससे सम्बंधित कानून की मांग कर रहे थे, वहीँ अब भारतीय ऑफिशियल्स भी इस विषय पर अपनी राय रखने लगे हैं। ऐसा ही कुछ हाल ही में भारत के पूर्व चीफ जस्टिस U.U. Lalit ने अपने संबोंधन के दौरान किया। दरअसल NALSAR-हैदराबाद के सहयोग से इंडिया फाउंडेशन द्वारा नए कानूनों पर आयोजित एक सेमिनार में शामिल हुए Ex CJI ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि, इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि क्रिप्टोकरेंसी और क्रिप्टो क्राइम्स एक रियलिटी है, ऐसे में इससे जुड़े कानून के निर्माण पर ध्यान दिया जाना चाहिए। बताते चले कि इस सेमिनार में पूर्व मुख्य न्यायधीश U.U. Lalit ने जल्द लागू की जाने वाली नई दंड संहिता (Penal Code) 'भारतीय न्याय संहिता' का स्वागत किया। यहाँ उन्होंने इस बात की भी जानकारी दी कि नई दंड संहिता में क्रिप्टोकरेंसी और साइबर क्राइम्स जैसे जरूरी मुद्दों को शामिल नहीं किया गया है।  

भारत में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा कोई विशेष कानून नही है 

भारत वर्तमान में एक तेजी के साथ में बढ़ती अर्थव्यवस्था है, जहाँ नई टेक्नोलॉजी को दिल खोलकर अपनाया जा रहा है। इन्ही टेक्नोलॉजी में से एक है क्रिप्टोकरेंसी। एक जानकारी के अनुसार भारत की जनसंख्या का कुल 20 प्रतिशत लोग क्रिप्टोकरेंसी मार्केट के निवेशक है। क्रिप्टोकरेंसी मार्केट की बढती लोकप्रियता से यह माना जा सकता है कि आने वाले समय में इसमें निवेश करने वाले लोगों की संख्या में और बढ़ोतरी हो सकती है। लेकिन वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा कोई विशेष कानून नहीं हैं। जिसको लेकर अपने संबोधन में Ex CJI U.U. Lalit ने कहा कि भारत में वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी क्राइम्स और साइबर क्राइम्स के लिए कोई विशेष कानून नहीं है। आज भी इन्हें चोरी की श्रेणी में ही रखा जाता है और उसी आधार पर कार्रवाई की जाती है। नई दंड सहिंता में भी डिजिटल वर्ड से जुड़े इन गंभीर मुद्दों को शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में वे मानते हैं कि नए क्रिमिनल लॉ में क्रिप्टोकरेंसी और साइबर क्राइम्स को भी शामिल किया जाना चाहिए। Ex CJI कहते है कि उन्हें भरोसा है कि आने वाले समय में देश की पार्लियामेंट इससे जुड़ा भी कोई समाधान निकाल लेगी।  

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